Lok Sabha Election: गठबंधन से बसपा की तर्ज पर कांग्रेस को फायदा होने के आसार

रायबरेली और अमेठी में प्रतिष्ठा बचाने के लिए सपा के आगे नतमस्तक दिखी कांग्रेस

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी, वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला… प्रख्यात शायर बशीर बद्र का ये शेर कांग्रेस और सपा के बीच लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के वास्ते हुए सियासी समझौते पर सटीक बैठता है। समझौते की इबारत गढऩे में राहुल की जगह प्रियंका गांधी का नाम आने के पीछे भी कई सियासी निहितार्थ छुपे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और राहुल की दोस्ती इस बार परवान नहीं चढ़ सकी।

अखिलेश के आगे कांग्रेस मानो एक तरह से नतमस्तक है। आलम ये है कि कांग्रेस को मिली 17 में से 11 सीटों पर उसका खाता तक कभी नहीं खुला। लेकिन अमेठी और रायबरेली की प्रतिष्ठा बचाने के लिए उसे सपा के आगे सरेंडर होना पड़ा। ऐसे में विपक्ष के इण्डिया गठबंधन के दो अहम साथियों का ये गठबंधन कोई कमाल दिखा पायेगा, ये कहना जल्दबाजी होगा। इतना जरूर तय है कि बसपा की तर्ज पर सपा से गठबंधन करके कांग्रेस जरूर फायदे में रहने वाली है।

बीजेपी ने लगाया 400 पार का नारा

भाजपा ने इस बार एनडीए के चार सौ पार जाने और यूपी में सभी 80 सीटों पर फतह करने का लक्ष्य तय किया है। जिसको पाने के लिए भाजपा शहरों से गांवों तक सियासी चक्रव्यूह तैयार करने के लिए एड़ी चोटी का जोर तमाम अभियानों के सहारे लगा रही है। वहीं बसपा को अकेले लड़ने पर सिर्फ विपक्ष के वोट कटवा के तौर पर देखा जा रहा है।

ऐसे में अधिकांश दलित और मुस्लिम वोटों का बड़ा लाभ कांग्रेस को इस गठबंधन से मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि पूरी तस्वीर अंतिम नतीजों के बाद स्पष्ट होगी। गठबंधन के एलान के बाद भाजपा ने किसानों की मांगे मानते हुए बुधवार को बड़ा मास्टर स्ट्रोक भी चला है।

यूपी सरकार ने भी एनसीआर के किसानों की समस्याओं पर राजस्व परिषद अध्यक्ष के नेतृत्व में तीन अफसरों की टीम गठित की है। 2024 में भाजपा 72 से 73 सीटों के आस-पास चुनाव लड़ सकती है। करीब सात सीटें सहयोगियों के लिए छोडऩे की उम्मीद है। समाजवादी पार्टी 63 सीटों पर लड़ेगी और कांग्रेस 17 सीटों पर।

बरेली मंडल में सपा ने पीडीए की उड़ाई धज्जियां

पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के नारे के साथ चुनाव की ओर बढ़ रही सपा बरेली मंडल में फार्मूले से ठिठक गई। पांच में चार सीटों के प्रत्याशी चयन में पी (पिछड़ा) और डी (दलित) समाहित हैं मगर ए (अल्पसंख्यक) छूट गया। बरेली, शाहजहांपुर के नेता तो इस पर चुप हैं, लेकिन बदायूं में सुलगी चिंगारी नुकसान कर सकती है।

सपा नेतृत्व को भी इसका आभास है, इसलिए चाचा शिवपाल यादव के सहारे डैमेज कंट्रोल का रास्ता तलाशने की जुगत हो रही है। बुधवार को एयरपोर्ट पर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव कार्यकर्ताओं को भरोसा भी दे गए कि चाचा सबकुछ ठीक कर लेंगे।

भाजपा नेताओं और मुख्यमंत्री योगी से मिले राजा भैया

बुधवार को राजा भैया से मिलने उनके आवास पर यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और सहकारिता राज्य मंत्री जेपीएस राठौर पहुंचे। दो दिन पहले समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तर पटेल भी राजा भैया से मिलने पहुंचे थे। मामला राज्यसभा चुनाव में समर्थन से जुड़ा है। बात यहीं नहीं रुकी, इसके बाद जनसत्ता दल लोकतात्रिंक पार्टी के प्रमुख राजा भैया ने देर शाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की है। इस दौरान योगी के ओएसडी श्रवण बघेल भी मौजूद रहे।

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