कारनामों की मंडी: तो क्लर्क ने रिश्तेदारों को किया दो करोड़ का फर्जी भुगतान

  • मंडी निदेशक द्वारा गठित जांच कमेटी ने भेजी आख्या
  • आरोपी क्लर्क की तैनाती 2007 से जांच सिर्फ तीन वर्ष तक का

 

Sandesh Wahak Digital Desk:  राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के निर्माण खंड प्रयागराज में तैनात क्लर्क द्वारा अपनी पत्नी और रिश्तेदारों के खाते में दो करोड़ रुपए के फर्जी भुगतान का मामला जांच में सामने आ गया है। विगत तीन वर्षों में आरोपी क्लर्क द्वारा दो करोड़ रुपए अपनी पत्नी, साले और दोस्त के फर्मों का भुगतान करना पाया गया। जांच अधिकारियों के मुताबिक क्लर्क पर कार्रवाई के लिए निदेशक मंडी परिषद को जांच आख्या भेज दी गई है। हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि भुगतान का ऑडिट भी कराया जाए।

गौरतलब हो कि संदेश वाहक ने प्रयागराज निर्माण खंड में हुए इस स्कैम को बड़ी खबर के रूप में प्रकाशित किया था। जिसपर संज्ञान लेते हुए मंडी निदेशक अंजनी कुमार सिंह ने तृसदस्यीय जांच टीम बनाई। जांच टीम ने तीन दिनों में जांच करके रिपोर्ट निदेशालय भेज दिया है। जांच अधिकारियों ने बताया कि विगत तीन ïवर्ष के खातों की जांच की गई है। जिसमें पता चला है कि दो चेकों के माध्यम से भुगतान अधिष्ठान से कर दिया गया जबकि बाकी धन ठेकेदारों की सिक्योरिटी राशि से भुगतान कर दिया गया। डीडीसी रविंद्र यादव और वित्त अधिकारी मैकूलाल को इस भुगतान का जिम्मेदार माना गया है। क्योंकि विगत एक वर्ष से आरोपी क्लर्क मंजीत सिंह झांसी में तैनात है। बावजूद इसके वह प्रयागराज पहुंचकर चेकों से भुगतान करा लेता था।

उप निदेशक निर्माण, रविंदर यादव
उप निदेशक निर्माण, रविंदर यादव

आडिट पर भी खड़ा हुआ सवाल

जब डीडीसी रविंद्र यादव, लेखाधिकारी मैकूलाल के संरक्षण में क्लर्क मंजीत सिंह इस घोटाले को अंजाम दे रहा था, उस समय आडिट वालों ने इस भुगतान को क्यों नहीं पकड़ा। मंडी परिषद के कर्मचारी आडिट पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे यह भी साबित होता है कि आडिट वाले आरोपियों से मिले हुए थे। अन्यथा यह फर्जी भुगतान उनके पकड़ में जरूर आ जाता।

आरोपी क्लर्क, मंजीत सिंह
आरोपी क्लर्क, मंजीत सिंह

बिजिलेंस जांच से ही हो सकेगा असली खुलासा

तीन सदस्यीय कमेटी द्वारा मात्र तीन वर्ष के भुगतान की जांच की गई। जांच की अवधि मात्र तीन दिन थी। जांच कमेटी द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए गए जेई भी बयान देने नहीं पहुंचे थे। अवर अभियंता सुनीता, अवर अभियंता पीएन भट्ट को भी बुलाया गया था, लेकिन उक्त देने जांच कमेटी के समक्ष बयान देने नहीं पहुंचे थे। अवर अभियंता सुनीता वाराणसी में हुए निर्माण घोटाले में आरोपी भी थी। सुनीता को पूर्व निदेशक ने निलंबित भी किया था। जांच कमेटी को यह भी पता चला कि सुनीता कभी ऑफिस आती ही नहीं हैं। न ही कोई काम करती है। चूंकि मंजीत सिंह 2007 से प्रयागराज में तैनात था इसलिए बीते वर्षों में उसके द्वारा फर्जी भुगतान करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। एक वर्ष से मंजीत झांसी में तैनात है। संभव है कि झांसी में भी फर्जी भुगतान हुआ हो। मंडी के कर्मचारियों का कहना है कि पूरे कार्यकाल की बिजिलेंस जांच के बिना सत्य सामने नहीं आ पाएगा।

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