लखनऊ नगर निगम: कमीशनखोरी का खेल, 17 फर्मों पर दरियादिली

लखनऊ नगर निगम के लेखा विभाग का कारनामा, सामूहिक भुगतान में भी वसूला कमीशन

संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। ‘चोर चोरी से जाए पर हेरा फेरी से न जाए’ ये कहावत लखनऊ नगर निगम के लेखा विभाग पर सटीक बैठती है। नगर आयुक्त की सख्ती के बावजूद भुगतान के एवज में कमीशन लिया जा रहा है। कमीशनखोरी में लिप्त लेखा विभाग के खिलाड़ी इतने शातिर हैं कि नगर आयुक्त को भी चकमा देने में पीछे नहीं हैं। होली के मौके पर खेला गया यह खेल बड़ा ही निराला है। जिसके मुख्य किरदार में वही अफसर-कर्मचारी नजर आ रहे हैं जिनको नगर आयुक्त ने सामूहिक भुगतान का जिम्मा सौंपा था।

दरअसल, ठेकेदारों के भुगतान में कमीशनखोरी के लिए नगर निगम का लेखा अनुभाग हमेशा से ही चर्चाओं में रहा है। इस कमीशनखोरी को बंद करने के लिए नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह (Municipal Commissioner Indrajit Singh) ने होली के मौके पर ठेकेदारों को सामूहिक भुगतान किए जाने का आदेश दिया था। आदेश था कि सभी ठेकेदारों को पारदर्शिता से दो-दो लाख रुपए का भुगतान कर दिया जाए। लेकिन लेखा विभाग के अफसर-कर्मचारियों ने इस लिस्ट को बनाने में फर्जीवाड़ा कर डाला। ज्यादा कमीशन के लालच में करीब 17 फर्मों को दो-दो बार भुगतान कर दिया गया। उस समय लखनऊ नगर निगम की ओर से 490 फर्मों की सूची बनाई गई जिसमें से 17 फर्में ऐसी थीं जिनका दो-दो बार यानी कि 4-4 लाख का भुगतान किया गया।

70 से अधिक ठेकेदारों का भुगतान अटका

सूत्र बताते हैं कि उस समय तमाम ठेकेदारों से भुगतान के एवज में 15 प्रतिशत तक कमीशन लिया गया। लेखा विभाग की ओर से सभी ठेकेदारों को करीब 7,31,66000 रुपए का भुगतान किया गया। बताया जा रहा है आदेशों के बावजूद लगभग 70 से अधिक ठेकेदारों के एकाउंट में आज तक भुगतान की रकम नहीं पहुंची।

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कई कर्मचारी भुगतान के मामले में निलंबित

यही नहीं सूत्र तो यह भी बताते हैं कि उस समय पूरे विभाग में करीब 81 करोड़ का भुगतान किया गया था उसमें भी गड़बड़ी की गई है। बता दें कि लेखा में विभाग के यह हाल तब है जब पूर्व में कई कर्मचारी भुगतान के मामले में निलंबित हो चुके हैं। अब देखना यह होगा कि इस बार किए गए खेल पर नगर आयुक्त क्या कार्रवाई करेंगे।

इन फार्मों को दोहरा भुगतान

आस्था इंटरप्राइजेज, अवध कान्सट्रक्शन, बालाजी कान्सट्रक्शन, भोले कान्सट्रक्शन, कैलाश चन्द्रा, मां सिद्घेश्वरी इंटरप्राइजेज, मॉस इंटरप्राइजेज, राय इंटरप्राइजेज, एसएस एंड कंपनी, संतोषी इंटरप्राइजेज, शौर्य इन्फ्रा डवलपर, श्रीराम ट्रेड्र्स, सूरज एसोसिएट्स, सुमन कान्सट्रक्शन, उदय प्रताप कान्सट्रक्शन, बृजेश कुमार मिश्रा और चन्द्रशेखर सिंह को दोहरा भुगतान किया गया।

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