लखनऊ नगर निगम : अफसरों का खेल, सारी कवायदें फेल

सफाई श्रमिकों की उपस्थिति जांच में मनमानी जारी, बायोमेट्रिक हाजिरी बनी दूर की कौड़ी

Sandesh Wahak Digital Desk : शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर पिछले कई सालों से नगर निगम नई-नई तकनीक ला रहा है, मगर कोई व्यवस्था अभी तक लागू नहीं हो सकी है। हम बात कर रहे हैं, सफाई कर्मियों की उपस्थिति और संख्या की निगरानी की। नगर निगम की ओर से पूर्व में बायोमीट्रिक, स्मार्ट वॉच व मोबाइल से उपस्थिति जांच का सिस्टम लागू किया जा चुका है, जो सभी फेल हो चुके हैं।

सफाई कर्मियों की संख्या में गड़बड़ी कर अफसर-कर्मचारी व कुछ जनप्रतिनिधियों की तिकड़ी सफाई कर्मियों का वेतन हजम कर रही है। सबसे पहले इस तिकड़ी ने स्मार्ट वॉच पहनने का विरोध किया और सिस्टम के विरोध में खड़े होकर उसका ध्वस्त कर दिया। इसी तरह सफाई श्रमिकों की बायोमीट्रिक हाजिरी भी नहीं हो पा रही है।

सफाई श्रमिकों की मैनुअल निगरानी शुरू

इसके अलावा लाखों रुपए की लागत से खरीदे गए मोबाइल कहां गायब हो गए इसका जवाब भी किसी अफसर के पास नहीं है। ऐसे में एक बार फिर सफाई श्रमिकों की मैनुअल निगरानी शुरू हो गई है। कार्यदायी संस्थाओं के मालिक और सफाई निरीक्षकों की मनमानी से उपस्थिति सत्यापित हो रही है। नियम-कानून को ठेंगा दिखकर धड़ल्ले से कार्यदायी संस्थाएं करोड़ों का भुगतान ले रही हैं।

बता दें कि सफाई कमियों की रियल टाइम हाजिरी जांचने के लिए संस्थाओं को सफाई कर्मियों के नाम पर आठ हजार मोबाइल उपलब्ध कराए गए थे। नगर निगम में कार्यदायी के लगभग 10 हजार सफाई कर्मी थे। इनमें आठ हजार को मोबाइल दिया गया था। उपस्थिति जांचने के लिए इन मोबाइल में ऐप इंस्टाल था। कंट्रोल रूम के जरिए इनकी निगरानी होती थी। कितने बजे वह कार्य स्थल पर पहुंचते और काम खत्म कर लौटते, पूरा विवरण दर्ज हो जाता था। अब पूरी व्यवस्था फेल हो गई है। किसी अफसर को नहीं पता है कि कर्मचारियों के मोबाइल कहां है।

खुलासे के बाद भी शासन नहीं करा रहा जांच

बीते दो नंवबर को कमिश्नर रोशन जैकब के निरीक्षण में केजीएमयू से दुबग्गा व आसपास सफाई व्यवस्था चौपट मिली थी, महापौर व पूर्व डिप्टी सीएम के कार्यक्रम वाले मार्ग में भी सफाई व्यवस्था बदहाल मिली थी। दोनों ही मामलों में नगर निगम की ओर से कार्यदायी संस्था एजेन्सी लायन्स सिक्योरिटी गार्ड व अमृता इन्टर प्राइजेज पर 50-50 हजार का जुर्माना लगाया गया था। नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह को भोलाखेड़ा बदहाली मिली तो कार्यदायी संस्था लक्ष्मी सिक्योरिटी पर एक लाख का जुर्माना लगाया। लेकिन अभी तक शासन की ओर से जांच शुरू नहीं कराई गई है।

प्रभारी मंत्री ने दिए डिजिटल व्यवस्था लागू करने के निर्देश

लखनऊ के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने सोमवार को कलेक्ट्रेट में सफाई सहित कई मुद्दों पर अफसरों के साथ बैठक की। उन्होंने नगर आयुक्त से सफाई कर्मियों की उपस्थिति जांचने के बारे में पूछा तो नगर आयुक्त ने मैनुअल व्यवस्था की जानकारी दी। इस पर मंत्री ने नगर आयुक्त को तत्काल डिजिटल उपस्थिति जांचने की मजबूत व्यवस्था बनाने का निर्देश दिया। फेस और बायोमेट्रिक व्यवस्था के लिए तत्काल टेंडर कराने का निर्देश दिया।

कूड़े में गई सफाई श्रमिकों की जांच

तीन वर्ष पूर्व नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में कार्यदायी संस्थाओं व उनके श्रमिाकों की जांच सहायक लेखाधिकारी एपी तिवारी को सौंपी गई थी। इस जांच के दौरान नगर निगम की कार्यदायी संस्थाओं में हडक़ंप मच गया था। क्योंकि सफाई श्रमिकों की संख्या में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा उस समय भी जारी था। मगर बाद में उच्च स्तरीय साजिश के तहत जांच को दबा दिया गया। सूत्रों का कहना है कि नगर निगम में अगर यह जांच सामने आ जाती हो करोड़ों का घोटाला सामने आ सकता था मगर, इस मामले को दबा दिया गया।

अफसर और कार्यदायी संस्थाएं मालामाल

नगर निगम में कार्यदायी संस्थाओं के श्रमिकों की तैनाती में बड़ा खेल है इसे पकडऩे के लिए अभी तक कोई सटीक सिस्टम नहीं बन सका है। ऐसे में अफसर और कार्यदायी संस्थाए निजी स्वार्थ के सफाई कर्मियों की संख्या और उनकी हाजिरी पूरी दिखकर नगर निगम को चूना लगा रहे हैं। एक उदाहरण के अनुसार जगर नगर निगम की फाइल में किसी कार्यदायी संस्था के सौ श्रमिक कार्यरत हैं तो क्षेत्र में 15-20 ही नजर आएंगे। बाकी की संख्या रिश्तेदार, दोस्त व श्रमिकों के घर वालों के आईडी कार्ड व बैंक खातों से की जाती है।

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