मिशन 2024 : महागठबंधन की बैठक से पहले यूपी में बिखरती दिख रही विपक्षी एकता

अखिलेश को पुराने साथियों की सुध नहीं, बसपा का अलग राह चुनना तय, कांग्रेस को चाहिए मुख्य भूमिका

Sandesh Wahak Digital Desk : देश में सत्तासीन भाजपा के खिलाफ मिशन 2024 की जंग लड़ने के लिए 23 जून को पटना में नीतीश की अगुवाई में विपक्ष की बेहद अहम बैठक है। जिसमें महागठबंधन का सियासी भविष्य तय होगा। लेकिन देश की सत्ता का रास्ता जिस सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। वहां विपक्षी एकता के दावे ताश के पत्तों के माफिक बिखरते नजर आ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी का तमगा सपा के पास है। इसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपने ही पुराने साथियों के साथ पर तनिक भी भरोसा नहीं है।

राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) पश्चिमी यूपी में सपा के बिना समरसता अभियान के सहारे जाट, मुस्लिम और गुर्जर के साथ को पाने की जद्दोजहद में जुटी है जबकि जयंत और अखिलेश ने संयुक्त रूप से खतौली में भाजपा को पटखनी देकर मिशन 2024 के लिए बड़ा संदेश दिया था। वहीं कांग्रेस भी अकेले उत्तर प्रदेश में अपना सियासी भविष्य तलाश रही है।

एक दौर वो भी था, जब राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक दूसरे का हाथ पकड़े प्रदेश भर में भाजपा के खिलाफ सियासी माहौल बनाने में शिद्दत से जुटे थे। कांग्रेस विपक्ष में अपनी मुख्य भूमिका चाहती है। यही नहीं दलितों के दम पर खड़ी बसपा प्रमुख मायावती को भी सपा मुखिया अखिलेश यादव का साथ तनिक भी गंवारा नहीं है।

कांग्रेस के बिना कोई भी भाजपा विरोधी मोर्चा सफल नहीं

पटना में प्रस्तावित बैठक के लिए मायावती को बुलावा तक नहीं भेजा गया। नतीजतन बसपा मुखिया ने बुधवार को पार्टी पदाधिकारियों की अहम बैठक बुलाकर अपनी आगे की रणनीति तय करने का खाका खींचा है। 2022 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भरोसा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम उनका साथ देंगे। इसके इतर सपा के मौजूदा सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के मुताबिक कांग्रेस के बिना कोई भी भाजपा विरोधी मोर्चा सफल नहीं हो सकता है। इसलिए यूपी में भाजपा के खिलाफ सम्पूर्ण विपक्ष को एक छतरी के नीचे आना ही चाहिए।

विपक्षी एकता का महल बनने से पहले धराशाई होता जरूर नजर आ रहा

यूपी की राजनीति पर पैनी नजरें रखने वाले विश्लेषकों के मुताबिक मुस्लिम इस बार सपा से ज्यादा कांग्रेस को तवज्जो दे सकते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ मुस्लिम, जाट और गुर्जर के प्रस्तावित गठबंधन में कम-से-कम 22 लोकसभा सीटों पर मुस्लिमों की 38-51 फीसदी और जाटों की 6-12 फीसदी संख्या है। इस लिहाज से कांग्रेस भाजपा के खिलाफ विपक्षी गठबंधन की मदद कर सकती है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में विपक्षी एकता का महल बनने से पहले धराशाई होता जरूर नजर आ रहा है।

अखिलेश तय करें, किस विचारधारा के साथ खड़े होंगे: कांग्रेस

यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह के मुताबिक अखिलेश यादव को तय करना है कि वह लोकसभा चुनाव में किस विचारधारा के साथ खड़े होना चाहते हैं। जिस किसी को भी भाजपा को हराना है उसे कांग्रेस का समर्थन करना चाहिए। अकेले यूपी के नतीजों से केंद्र में सरकार बनना संभव नहीं है। कांग्रेस भाजपा को हराने और राहुल गांधी के नेतृत्व में अगली सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यूपी की सभी सीटों पर कांग्रेस तैयारी कर रही है।

तीसरा मोर्चा बनने पर भाजपा का मिशन 80 होगा मजबूत

यूपी में भाजपा विपक्ष का सूपड़ा साफ करने की नीयत से सीधे मिशन 80 का लक्ष्य लेकर चल रही है। ऐसे में पटना से विपक्ष के गठबंधन ने सियासी आकार नहीं लिया तो यूपी में तीसरा मोर्चा खड़ा होना तय है। जिसमें महान दल, ओवैसी की एआईएमआईएम और बसपा साथ आ सकती है। अगर चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी समेत कई छोटे दल भी इस मोर्चे का हिस्सा बने तो भाजपा का विजय रथ रोकना विपक्ष के लिए नामुमकिन ही कहा जाएगा।

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