संपादक की कलम: वियतनाम से बढ़ते संबंधों के मायने

भारत और वियतनाम के बीच रिश्तों में तेजी से प्रगाढ़ता आ रही है। यही वजह है कि भारत दौरे पर आए वियतनाम के रक्षामंत्री जनरल फान वान जियांग को देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा तोहफा देने का ऐलान किया।

Sandesh Wahak Digital Desk: भारत और वियतनाम (India and Vietnam) के बीच रिश्तों में तेजी से प्रगाढ़ता आ रही है। यही वजह है कि भारत दौरे पर आए वियतनाम के रक्षामंत्री जनरल फान वान जियांग को देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा तोहफा देने का ऐलान किया। इसके मुताबिक भारत, वियतनाम को स्वदेश निर्मित मिसाइल युद्धपोत आईएनएस कृपाण उपहार में देगा। बकौल रक्षा मंत्रालय यह उपहार वियतनाम की नौ सेना की क्षमता को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा।

सवाल यह है कि…

  • वियतनाम को युद्धपोत तोहफे में देने के पीछे भारत की क्या रणनीति है?
  • चीन से बढ़ते तनाव के दौरान क्या भारत का यह कदम भविष्य में फायदे का सौदा साबित होगा?
  • आखिर दोनों देश तेजी से एक-दूसरे के साथ गलबहियां क्यों कर रहे हैं?
  • क्या चीन से परेशान देशों को भारत गोलबंद करने की कोशिश कर रहा है?
  • क्या हिंद-प्रशांत व दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता को रोकने में वियतनाम, भारत के साथ खड़ा होगा?
  • पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले भारत की इस घोषणा की मंशा क्या है?

चीन लगातार हो रहा आक्रामक

भारत और चीन के बीच संबंध कभी मधुर नहीं रहे। गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है। सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सामने खड़ी हैं और एक हल्की झड़प बड़े युद्ध में तब्दील हो सकती है। चीन की आक्रामक नीति से केवल भारत ही नहीं बल्कि उसके तमाम पड़ोसी देश परेशान हैं। सबसे अधिक परेशान वियतनाम है क्योंकि चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना दबदबा बनाने की लगातार कोशिश कर रहा है।

चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है जबकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम भी अपना दावा करते हैं। चीन ने यहां कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बना लिए हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में जापान से भी उसका विवाद जारी है।

भारत-वियतनाम के रिश्तों का मधुर होना इसलिए है जरुरी

वियतनाम यह बात अच्छी तरह जानता है कि वह भारत या अन्य देशों की मदद के बिना चीन से मुकाबला नहीं कर सकता है। भारत भी इस बात को जानता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की मजबूत स्थिति की काट के लिए वियतनाम रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर में वियतनाम के जल क्षेत्र में भारत की तेल परियोजनाए चल रही हैं। ऐसे में साझा हितों की रक्षा के लिए भारत-वियतनाम के रिश्तों का मधुर होना बेहद जरूरी भी है। दोनों देशों के बीच सैन्य रणनीति पर भी सहमति बनी है। वियतनाम की नौसेना को मजबूत करने के लिए ही भारत ने युद्धपोत देने का ऐलान किया है। ऐसा करके भारत न केवल चीन पर हिंद प्रशांत और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में दबाव बनाना चाहता है बल्कि वियतनाम के साथ मधुर संबंधों के जरिए हालात को अपने पक्ष में बरकरार रखना चाहता है।

इसके अलावा अमेरिका भी चीन की आक्रामक नीति से खफा है और वह भारत से लगातार अपने संबंध सुधार रहा है। भारत का यह दांव निश्चित रूप से चीन को घेरने में सफल होता दिख रहा है।

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