संपादकीय: खिलाड़ियों का दर्द

एक बार फिर पदक विजेता महिला पहलवानों ने अपना दर्द सार्वजनिक किया है। उनकी शिकायत सरकार से है।

Sandesh Wahak Digital Desk। एक बार फिर पदक विजेता महिला पहलवानों ने अपना दर्द सार्वजनिक किया है। उनकी शिकायत सरकार से है। उन्होंने न्याय पाने के अपने अधिकार को लेकर लंबी जंग छेडऩे का ऐलान कर दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाने की भी बात कही है।

सवाल यह है कि…

  • महिला पहलवानों को अखाड़े में पसीना बहाने की जगह सडक़ पर क्यों उतरना पड़ा?
  • सरकार उनकी समस्याओं का समाधान क्यों नहीं कर रही है?
  • पीडि़तों की शिकायत थाने में क्यों नहीं दर्ज की जा रही है?
  • क्या सरकार कुछ छिपाना चाहती है?
  • क्या खेल संघों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है?
  • क्या ऐसे आरोप खेल संघों की मर्यादा को तार-तार नहीं कर रहे हैं?
  • खेल और खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने वाली केंद्र सरकार यौन उत्पीडऩ के आरोपों की जांच करने वाली कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है?

FIR दर्ज नहीं होने पर दर्द में हैं खिलाड़ी

भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर कुछ महीने पहले महिला पहलवानों ने यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था और कुश्ती संघ को भंग करने समेत कई मांगे रखीं थीं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर कई दिनों तक चले धरने के बाद दिग्गज बॉक्सर एमसी मेरीकॉम (boxer mc mary kom) की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति ने मामले की जांच की थी। कमेटी ने अप्रैल में अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंप दी थी लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया, न ही किसी प्रकार की कार्रवाई की गई। यही नहीं वे महासंघ के प्रमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं होने को लेकर भी क्षुब्ध हैं। महिला पहलवानों की इन मांगों को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता है। यदि दिग्गज खिलाडिय़ों की शिकायतों का निस्तारण नहीं हो रहा है तो जिला और प्रदेश स्तरीय खिलाडिय़ों (state level players) की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है।

संदेह के घेरे में जांच कमेटी की रिपोर्ट

खेल संघों पर पहले भी खिलाडिय़ों के शोषण और भाई-भतीजावाद (nepotism) के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में जांच कमेटी की रिपोर्ट का सार्वजनिक नहीं किया जाना बड़े सवाल खड़े करती है। इससे यह संदेश भी जा रहा है कि सरकार आरोपी को बचाने की कोशिश कर रही है। आरोपों की जांच का निष्कर्ष क्या रहा है, यह केवल खिलाड़ी ही नहीं बल्कि जनता भी जानना चाहती है।

  • क्या खिलाड़ी बिना वजह किसी पर इतने गंभीर आरोप लगा सकते हैं?
  • वे क्यों अपने चमकते कैरियर को और सुनहरा बनाने की कोशिश करने की जगह सडक़ पर धरना-प्रदर्शन करेंगे?

खेल संघ की प्रतिष्ठा भी होगी ध्वस्त!

जाहिर है यदि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती है तो इससे खिलाडिय़ों का न केवल भरोसा टूटेगा बल्कि खेल संघ भी कठघरे में खड़े दिखेंगे। सरकार को चाहिए कि वह खिलाडिय़ों से वार्ता करें और उनकी शिकायतों का निस्तारण करें। साथ ही दोषी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। इस मामले में की गई लेट-लतीफी सरकार की साख के लिए घातक साबित हो सकती है। यही नहीं यह खेल संघों की प्रतिष्ठा को भी ध्वस्त कर देगी। फिर खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने की सरकार की मंशा कभी हकीकत में नहीं बदल सकेगी।

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