राहुल नहीं, स्मृति को टक्कर देंगी प्रियंका !

Sandesh Wahak Digital Desk/ Suryakant Tripathi : इस बार लोक सभा चुनाव में यूपी की सियासत में बड़ा दिलचस्प नजारा देखने को मिल सकता है। अमेठी में भाजपा और कांग्रेस की दो कद्दावर महिला नेताओं के बीच जंग लगभग तय मानी जा रही है। भाजपा सांसद स्मृति ईरानी को टक्कर देने के लिए गांधी परिवार इस बार प्रियंका गांधी को उतारने की तैयारी कर रहा है। हालांकि कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन इसका पूरा खाका तैयार कर लिया गया है और प्रियंका ने एक बार फिर जिस तरह यूपी में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, वह इसी ओर इशारा कर रहा है।

लोक सभा चुनाव में अब एक साल से कम समय बचा है। लिहाजा कांग्रेस ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। उसकी सबसे बड़ी चिंता गांधी परिवार की दो सीटों अमेठी और रायबरेली को लेकर है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार रही स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को परास्त कर अमेठी सीट पर कब्जा कर लिया था।

उत्तर प्रदेश की एक मात्र लोकसभा सीट रायबरेली ही उसके पास है। यहां से सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की थी। यह वह दौर था जब प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने सक्रिय राजनीति में उतारा था। पार्टी ने उन्हें महासचिव बनाने के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया था। बाद में उन्हें पूरे यूपी का प्रभारी बनाया गया। अमेठी की सीट गंवाना प्रियंका के लिए बड़ा झटका रहा। हालांकि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में प्रियंका ने आक्रामक रणनीति अपनायी। प्रत्याशियों के चयन से लेकर चुनावी रणनीति बनाने तक का काम प्रियंका गांधी ने किया लेकिन इस बार भी वे कोई चमत्कार नहीं कर सकीं। चुनाव परिणाम ने उन्हें दूसरा झटका दिया। इस बार केवल दो सीटें कांग्रेस की झोली में गिरीं।

आराधना मिश्रा मोना और वीरेंद्र चौधरी

हिमाचल और कर्नाटक चुनाव जीत के बाद कांग्रेस का बढ़ा जोश

रामपुर खास से आराधना मिश्रा मोना और फरेंदा सीट से वीरेंद्र चौधरी ने जीत दर्ज की। ये दोनों सीटें भी कांग्रेस ने इन नेताओं के दम पर जीती थीं। अब एक और आम चुनाव कांग्रेस के सामने है। कर्नाटक और हिमाचल चुनाव जीतने के बाद से कांग्रेस का जोश बढ़ा है और प्रियंका भी चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है। ऐसे में रणनीतिकारों ने उनके लिए सीट की तलाश तेज कर दी है और इनकी निगाहें अमेठी पर टिक गयी हैं।

सूत्रों का कहना है कि अमेठी से राहुल गांधी को कांग्रेस के रणनीतिकार चुनाव में उतारने के मूड में नहीं है। उनका मानना है कि यदि राहुल दूसरी बार भी अमेठी में हार का सामना करते हैं तो उनका सियासी करियर खतरे में पड़ जाएगा। हालांकि मानहानि के मामले में राहुल की संसद सदस्यता खत्म हो चुकी है और जब तक उनकी सजा कम या उस पर रोक नहीं लग जाती, वे चुनाव नहीं लड़ सकते है।

वहीं गांधी परिवार अपनी परंपरागत सीट अमेठी पर गांधी परिवार से इतर किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं उतारने के मूड में नहीं है। रणनीतिकारों का मानना है कि यदि प्रियंका उत्तर प्रदेश की इस सीट से चुनाव लड़ती है तो इससे कार्यकर्ताओं में जोश भरेगा और उसका फायदा उसे मिल सकता है। फिलहाल, कांग्रेस ने अमेठी को लेकर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन सियासी गलियारे में प्रियंका के अमेठी से लडऩे की चर्चा तेज हो चुकी है।

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