ताकतवर नौकरशाहों की सांसें अटकीं, कार्रवाई के इंतजार में केंद्रीय एजेंसिया; केंद्र के पाले में गेंद

उत्तर प्रदेश के कई ताकतवर नौकरशाहों की सांसे अटकी हैं। इसके पीछे केंद्रीय जांच एजेंसियों का वो शिकंजा है, जो कभी भी इन नौकरशाहों के ऊपर कस सकता है।

Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश के कई ताकतवर नौकरशाहों की सांसे अटकी हैं। इसके पीछे केंद्रीय जांच एजेंसियों का वो शिकंजा है, जो कभी भी इन नौकरशाहों के ऊपर कस सकता है। इन नौकरशाहों के ऊपर कार्रवाई के मामले में गेंद फिलहाल केंद्र सरकार के पाले में है। लेकिन मिशन 2024 के हर सियासी पहलू को भांपते हुए नौकरशाहों पर शिकंजा कसने के फैसले को हरी झंडी दिखाई जायेगी।

दरअसल सबसे प्रमुख प्रकरण सरिया बनाने वाले समूह गैलेन्ट का है। आयकर छापों में यूपी के तमाम आईएएस अफसरों की तकरीबन एक अरब की काली कमाई का पर्दाफाश होने के बाद एक गोपनीय रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गयी है। यूपी का आयकर विभाग केंद्र के निर्देशों के इन्तजार में है। बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक गैलेन्ट समूह पर हुई कार्रवाई के खुलासे को देखते हुए कई और खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हो उठी हैं। इस सूची में ऐसे नौकरशाहों के नाम भी बताये जा रहे हैं, जिन पर खुद मुख्यमंत्री योगी को बेहद भरोसा है। ऐसे में इन नौकरशाहों पर कार्रवाई से कई गंभीर सवाल भी खड़े हो सकते हैं। इसलिए आयकर अफसर बेहद फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं।

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आयकर की गोपनीय रिपोर्ट पर केंद्र में हो रहा विचार

सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार को ही तय करना है कि इन नौकरशाहों के ऊपर आपरेशन बाबू साहेब के तहत आगे क्या कार्रवाई करनी है या फिर इनको सिर्फ चेतावनी दी जायेगी। आयकर अफसर खुद इतने बड़े नौकरशाहों और गैलेन्ट ग्रुप के मालिकों से जुड़ी व्हाट्सऐप चैट्स देखकर हैरान हैं। कई पुराने मोबाइल फोन भी आयकर विभाग को मिले हैं। जिससे तमाम और राज सामने आये हैं। हालांकि आयकर की गोपनीय रिपोर्ट में पूर्व सीएम अखिलेश यादव के बेहद करीबी कुछ नौकरशाहों के भी नाम हैं।

शेरपुरिया के खिलाफ शुरू हुई कार्रवाई के लपेटे में कई अफसर

आयकर के अलावा ईडी (ED) के रडार पर भी कई ताकतवर नौकरशाह हैं। खासतौर पर महाठग संजय शेरपुरिया से जुड़े नौकरशाहों की धडक़नें बढ़ी हुई हैं। शेरपुरिया के ऊपर कार्रवाई सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देशों पर शुरू हुई है। यूपी में शेरपुरिया के आर्थिक साम्राज्य को बढ़ाने वाले नौकरशाहों की फेहरिस्त लम्बी है।

सियासी भविष्य तलाश रहे नौकरशाहों पर भी पैनी नजर

यूपी की राजनीति का ताकतवर नौकरशाहों से पुराना रिश्ता है। सेवानिवृत्त होने के बाद और पहले भी कई अफसर राजनीतिक दलों का दामन थाम कर सियासी सीढिय़ां चढ़े हैं। कई अफसर तो अपनी सियासी पारी के चलते न सिर्फ यूपी बल्कि देश के अहम मंत्रालयों की कुर्सियां भी संभाल चुके हैं। आगामी लोकसभा चुनाव के चलते भाजपा में अपना सियासी भविष्य अफसरों ने तलाशना शुरू कर दिया है। इस सूची में रिटायर होने वाले कई आईएएस और आईपीएस का नाम शामिल है। इन अफसरों के ऊपर भी एजेंसियों की पैनी नजरें हैं।

रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई भी सख्त

सीबीआई भी ताकतवर नौकरशाहों के खिलाफ सख्त नजर आ रही है। सीबीआई ने रिवर फ्रंट घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल (बाद में मुख्य सचिव हुए) के खिलाफ जांच की मंजूरी पिछले वर्ष जून में सरकार से मांगी थी। अब एक बार फिर सीबीआई ने रिमाइंडर भेजा है। जिसको गृह विभाग ने नियुक्ति विभाग को भेजा है।

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