RTE के तहत लखनऊ के निजी स्कूल नहीं ले रहे दाखिले, मांग रहे रुपये, बना रहे बहाने
शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत गरीब और निर्धन अभिभावकों के बच्चों को निजी स्कूल दाखिला नहीं दे रहे हैं।
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत गरीब और निर्धन अभिभावकों के बच्चों को निजी स्कूल दाखिला नहीं दे रहे हैं। लिहाजा यह अभिभावक लू के थपेड़ों के बीच स्कूल से लेकर बीएसए ऑफिस के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। इनका कसूर सिर्फ इतना है कि वह अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में शिक्षा दिलाने चाहते हैं। ऐसे ही कुछ अभिभावकों लखनऊ के बेसिक शिक्षा कार्यालय (बीएसए)में अपनी फरियाद करते नजर आए।
प्रदेश के सभी निजी स्कूलों में आरटीई (RTE) के तहत दाखिले के लिए 25 फीसदी सीटें आरक्षित की गई है। इस अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को हर हाल में दाखिला लेना होगा। लखनऊ में मार्च में ही आरटीई के दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। अप्रैल में पहले चरण के दाखिले की सूची जिला प्रशासन के यहां से जारी की जा चुकी है। इसके बाद जब अभिभावक स्कूलों अपने बच्चों के दाखिले के लिए जा रहे हैं तो निजी स्कूल दाखिला लेने से मना कर रहे हैं। निजी स्कूल उन्हें टालने के लिए तरह तरह के बहाने भी कर रहे है।
मांग रहे रुपये, बना रहे बहाने
अभिभावकों के मुताबिक कई स्कूल दाखिले के लिए सात से दस हजार रुपए की मांग कर रहे हैं। कुछ स्कूल अभिभावकों से कहे रहे हैं कि लिस्ट ही नहीं आई है, तो कुछ स्कूलों का कहना है कि जब तक पहले की पढ़ाई का ही पैसा नहीं आया। इसलिए दाखिला नहीं लेंगे। एक अभिभावक ने बताया कि स्कूल का कहना है कि उनका बच्चा पहले से पढ़ रहा है, लिहाजा अब आरटीई के तहत दाखिला नहीं लेंगे।
अभद्रता करते हैं स्कूल वाले
वहीं गोमती नगर (Gomti Nagar) के स्कॉलर होम दाखिले के लिए आईटीआर, पैन कार्ड व बैंक की छह माह की इंट्री वाली पास बुक मांग रहा है। अभिभावक का कहना है कि आईटीआर (ITR) कहां से लाए? यहीं नहीं अभिभावकों का कहना है कि स्कूल के लोग काफी अभद्रता भी करते हैं।
RTE के तहत दाखिला नहीं लेने वाले स्कूल
- सिटी कांवेंट स्टडी होम
- बचपन फन लार्निंग स्कूल
- बाल निकुंज
- मैरी गार्डेन कांवेंट स्कूल
- विद्या स्थली
- स्कॉलर होमर्शन एकेडमी
- सिटी इंटरनेशनल
- इलाहाबाद पब्लिक स्कूल
- लखनऊ पब्लिक स्कूल
दाखिले हर हाल में कराए जाएंगे। जल्द ही निजी स्कूलों के प्रबन्धकों की बैठक बुलाएंगे। उसमें इन अभिभावकों की समस्या का समाधान किया जाएगा।
अरुण कुमार (बेसिक शिक्षा अधिकारी, लखनऊ)
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