रिलायंस की केजी बेसिन गैस की दूसरी नीलामी, आईओसी को मिला आधा हिस्सा

Sandesh Wahak Digital Desk : देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसकी ब्रिटिश भागीदार बीपी की केजी गैस की हालिया प्राकृतिक गैस नीलामी में करीब आधा हिस्सा हासिल किया है। प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल बिजली और उर्वरक उत्पादन में होता है। इसके अलावा इसे वाहन ईंधन सीएनजी और रसोई में इस्तेमाल होने वाले ईंधन में भी बदला जाता है।

सूत्रों ने बताया कि पिछले महीने हुई नीलामी में आईओसी ने 25 लाख घनमीटर प्रतिदिन गैस हासिल की है। नीलामी में 50 लाख घनमीटर गैस रखी गई थी।

तेल शोधन और विपणन कंपनी ने इस मात्रा के लिए बोली सात उर्वरक संयंत्रों की ओर से लगाई थी। रिलायंस-बीपी की पिछली पूर्वी अपतटीय केजी-डी6 ब्लॉक की गैस की नीलामी में भी आईओसी ने सबसे ज्यादा गैस के लिए बोली लगाई थी।

शहर गैस वितरण कंपनियों…गेल गैस लि., महानगर गैस लि., टॉरेंट गैस, अडाणी गैस लि. और हरियाणा सिटी गैस आदि ने कुल मिलाकर पांच लाख घनमीटर प्रतिदिन की गैस के लिए बोली लगाई। ये कंपनियां इस गैस को सीएनजी और रसोई में इस्तेमाल वाली पीएनजी में बदलती हैं।

एचपीसीएल को 6-6 लाख घनमीटर प्रतिदिन की गैस मिली

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों गेल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) को 6-6 लाख घनमीटर प्रतिदिन की गैस मिली। वहीं गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम (जीएसपीसी) को पांच लाख घनमीटर और शेल को दो लाख घनमीटर गैस हासिल हुई।

रिलायंस-बीपी ने दो साल पहले घरेलू गैस उत्पादन में गिरावट के रुख को पलट दिया था। उसने बंगाल की खाड़ी के गहरे समुद्र क्षेत्र में केजी-डी6 ब्लॉक में दूसरे दौर की खोजों से उत्पादन शुरू कर इस रुख को पलटा था। प्राकृतिक गैस एक स्वच्छ और दक्ष ईंधन है। यह विभिन्न देशों के शून्य उत्सर्जन वाले ईंधन की ओर बढ़ने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

रिलायंस-बीपी ने ताजा निविदा में एक जून से तीन साल की अवधि के लिए 50 लाख घनमीटर प्रतिदिन गैस की पेशकश की थी। सूत्रों ने बताया कि ई-नीलामी 19 मई को शुरू होकर 23 मई को बंद हुई थी।

इससे पहले रिलायंस-बीपी ने अप्रैल में करीब 60 लाख घनमीटर प्रतिदिन गैस की नीलामी की थी। 12 अप्रैल को हुई ई-नीलामी में आधा हिस्सा आईओसी को मिला था। वहीं गेल को सात लाख घनमीटर, अडाणी-टोटल गैस को चार लाख घनमीटर, शेल को पांच लाख घनमीटर, जीएसपीसी को ढाई लाख घनमीटर और आईजीएस को पांच लाख घनमीटर गैस मिली थी।

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