श्रावस्ती: हर बार छले गए ग्रामीण, कटरा-मथुरा घाट पर पुल की ख्वाहिश रही अधूरी

Sandesh Wahak Digital Desk/ Mata Prasad Verma : चुनाव में विकास के बड़े-बड़े दावे करते नहीं थक रहे केंद्र व प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायक आज तक विश्व प्रसिद्ध बौद्ध स्थल श्रावस्ती से नेपाल सीमा को जोडऩे वाले कटरा-चौधरीडीह मार्ग की राप्ती नदी (कटरा-मथुरा घाट) पर पक्का पुल निर्माण नहीं करा सके हैं। हालांकि वे हर चुनाव में इसका आश्वासन जरूर देते हैं। जनप्रतिनिधियों की इस बेरुखी के चलते स्थानीय लोग चंदा लगाकर नदी पर लकड़ी का पुल बनाकर इसके जरिए आवागमन कर रहे हैं।

कटरा-मथुरा घाट पर पक्का पुल न होने से राप्ती नदी के समीप बसे दर्जनों गांवों के ग्रामीणों को नदी पार करने के लिए कई गुना अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। इकौना के डिंगुराजोत ग्राम सभा के ग्रामीणों को बारिश के दौरान अपने ही ग्राम सभा के दूसरे मजरे फत्तूपुर तनाजा जाने के लिए पचास किमी. से अधिक की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है जबकि डिंगुराजोत से फत्तुपुर तनाजा की वास्तविक दूरी करीब दो किलोमीटर है।

सांसद राम शिरोमणि वर्मा

सांसद राम शिरोमणि वर्मा भी भूल गए वादा

पुल निर्माण की मांग को लेकर श्रावस्ती संघर्ष समिति द्वारा विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया गया था। इस पर सांसद राम शिरोमणि वर्मा ने ग्रामीणों को पुल निर्माण कराने का आश्वासन दिया था मगर सांसद भी अपने वादे को भूल गए।

चंदा एकत्र कर हर वर्ष बनाते हैं लकड़ी का पुल

कटरा-मथुरा घाट पर बनने वाले लकड़ी के पुल के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि बरसात बाद राप्ती नदी के किनारे बसे दर्जनों गांवों के ग्रामीण चंदा एकत्र कर चार-पांच लाख की लागत से बांस बल्ली के सहारे लकड़ी का पुल बनवाते है। पुल के मेंटेनेंस के लिए बाहरी लोगों से मामूली शुल्क लिया जाता है। हालांकि बरसात आते ही यह पुल नदी के तेज बहाव में बह जाता है।

लखनऊ भी हो जाएगा नजदीक

राप्ती नदी के कटरा-मथुरा घाट पर पुल बन जाने से भारत-नेपाल सीमा के निकट बसे दर्जनों गांवों के ग्रामीणों के लिए भी राजधानी नजदीक हो जायेगी।  मथुरा, लक्ष्मनपुर, जोखवा, प्रानपुर, बहादुरगंज, चौधरीडीह, लालपुर, शिवपुरा, बरदौलिया, देवपुरा, बनकटवा, भरसहिया बाजार, मणिपुर बाजार, बिनौहनी, सिटकिहवा, सिंहपुर आदि कस्बों सहित भारत-नेपाल सीमा के निकट बसे तमाम गांवों के लाखों ग्रामीणों को राजधानी लखनऊ जाने के लिए भिनगा अथवा बलरामपुर का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। इन गांवों के ग्रामीण कटरा-मथुरा घाट उतरकर कटरा श्रावस्ती से वीरपुर, खरगुपुर, आर्य नगर, कौडिय़ा, कटरा, करनैलगंज होते हुए सीधे लखनऊ पहुंच सकते हैं।

पुल निर्माण को लेकर मैंने सदन में आवाज उठाई है। चुनाव जीतने पर कटरा-मथुरा घाट पुल निर्माण हमारी प्रमुखता में होगा।

-राम शिरोमणि वर्मा, सांसद, श्रावस्ती

यहां की जनता हर चुनाव में पुल निर्माण के वादे पर मतदान करती है, लेकिन हर बार जनप्रतिनिधियों से निराशा मिलती है।

-राज कुमार यादव, ग्राम प्रधान, डिंगुराजोत

पुल निर्माण को लेकर विधायक एवं सांसद को ज्ञापन दिया जा चुका है, लेकिन धरातल पर अभी तक कुछ भी नहीं हुआ।

-इन्द्र देव गुप्ता, अध्यक्ष, श्रावस्ती संघर्ष समिति

पुल निर्माण की मांग मुख्यमंत्री से की थी। आने वाले समय में कटरा-मथुरा घाट पर भी पक्का पुल बन जाएगा।

-राम फेरन पाण्डेय, विधायक, श्रावस्ती

पुल निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने पिछले चुनाव में मतदान का बहिष्कार किया था आश्वासन के बावजूद यह नहीं बना।

-पुल्लुर निषाद, ग्राम प्रधान, राजगढ़ गुलरिहा

पुल का निर्माण होने से लाखों ग्रामीणों को लाभ मिलेगा लेकिन किसी जनप्रतिनिधि ने यह कार्य आज तक पूर्ण नहीं कराया।

-नवीन चौधरी, समाजसेवी

हर साल लाखों ग्रमीण बाढ़ से होते हैं प्रभावित

वहीं श्रावस्ती से बलरामपुर जिले के मथुरा बाजार जाने के लिए दस किलोमीटर की दूरी को करीब चालीस किलोमीटर चलकर (वाया हरिहरगंज कोडऱी) तय करना पड़ता है। इसी दूरी को कम करने के लिए राप्ती नदी के दोनों तरफ बसे गांवों के ग्रामीण दशकों से कटरा-मथुरा घाट पर पुल निर्माण की मांग शासन-प्रशासन से कर रहे हैं लेकिन केन्द्र व प्रदेश में रही अबतक की सरकारों में से किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा नेपाल सीमा के नजदीक बसे दर्जनों गांवों के ग्रामीणों को लखनऊ जाने के लिए बलरामपुर अथवा भिनगा घूम कर पहुंचना पड़ता है। वहीं राप्ती नदी में बाढ़ से प्रतिवर्ष लाखों ग्रामीण प्रभावित होते हैं।

50 किलोमीटर का चक्कर लगाने को मजबूर है ग्रामीण

कटरा मथुरा घाट पर पक्का पुल न होने से बाढ़ प्रभावितों तक राहत सामग्री भी समय से नहीं पहुंच पाती है। पक्का पुल नहीं बनने के कारण लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। राप्ती नदी के कटरा-मथुरा घाट पर पुल बन जाने से राप्ती नदी के नजदीक बसे मझौवा सुमाल, गुलवरिया, मलौना खशियारी, भुतहा, बिराहिमपुर, जीव नारायनपुर, मुस्काबाद, मनिकाकोट, डिंगुराजोत, राजगढ़ गुलरिहा, बगहा, फत्तूपुर तनाजा, बेहनन पुरवा, सिरसा, बाजाजोत तथा बलरामपुर जिले के जोगिया कलां गांव के 27 मजरों सहित गौरी सांई पुरवा, टेपरा, जगतापुर, छेदी पुरवा, पण्डित पुरवा, हड़हा, ज्वालाहन पुरवा, गुहिज पुरवा, नेतुआ, बग्गरवा, गंगापुर बांकी, महतौ पुरवा, मानकोट, टेंगनहिया, सरदार गढ़, लालपुर, फागुहिया समेत राप्ती नदी के दोनों तरफ बसे सैकड़ों गांवों के लाखों ग्रामीणों के आवागमन में आसानी होगी तथा पास के हीं गांवों में जाने के लिए पचास किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।

इससे आक्रोशित बगहा गांव समेत आसपास के गांवों के मतदाताओं ने पिछले विधानसभा चुनाव में पक्का पुल बनाने की मांग को लेकर पुल नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ चुनाव का बहिष्कार किया था। हालांकि बाद में अधिकारियों के समझाने बुझाने तथा वर्तमान विधायक व प्रत्याशी राम फेरन पाण्डेय द्वारा पुल बनवाने के वादे के बाद ग्रामीणों ने मतदान कर दिया था लेकिन पुल आज तक नहीं बन सका।

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