Taj कॉरिडोर घोटाला, चार्जशीट पर 22 मई को संज्ञान लेगा कोर्ट

ताज (Taj) घोटाले में हेराफेरी करने के आरोपी बनाए गए एनपीसीसी के तत्कालीन एजीएम महेंद्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मिली।

Sandesh Wahak Digital Desk। करोड़ों रुपये के ताज (Taj) घोटाले में हेराफेरी करने के आरोपी बनाए गए एनपीसीसी के तत्कालीन एजीएम महेंद्र शर्मा के खिलाफ़ सीबीआई द्वारा दाखिल अभियोजन स्वीकृति को विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने पत्रावली में शामिल करने एवं आरोप पत्र पर आगामी 22 मई को संज्ञान लिए जाने का आदेश दिया है।

इसी के साथ अदालत ने आरोपी महेंद्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने वाले अधिकारी एनपीसीसी के सीएमडी रजनीकांत अग्रवाल को मामले में गवाह बनाते हुए गवाहों की सूची में रहने का आदेश दिया है। अदालत ने चार्जशीट पर संज्ञान लेने के समय 22 मई को मामले के विवेचक और पैरवी अफ़सर को कोर्ट में हाजऱि रहने का आदेश दिया है। वहीं, सीबीआई को भी आदेश दिया कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित एसएलपी की स्थिति के बारे में कोर्ट को बताया जाए।

Taj कॉरिडोर घोटाले में पूर्व CM सहित कई आरोपी

सीबीआई की ओर से पैरवी अफ़सर अमित कुमार ने कोर्ट में आरोपी महेंद्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के साथ एक अर्जी देकर बताया कि सीबीआई ने ताज (Taj) मामले में 15 फऱवरी 2007 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती, पर्यावरण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी, तत्कालीन सचिव पर्यावरण आरके शर्मा, पर्यावरण विभाग के अनुसचिव राजेंद्र प्रसाद, एनपीसीसी के तत्कालीन एजीएम महेंद्र शर्मा और ईश्वाकु प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कमल राधू के खिलाफ आपराधिक साजिश करके 17 करोड़ रुपये के सरकारी धन निकालने, पद के दुरुपयोग करने और प्राइवेट पार्टी से अनुचित लाभ लेने समेत तमाम आरोपों में चार्जशीट दायर की थी।

मायावती और नसीमुद्दीन के मुकदमे की प्रक्रिया हुई खत्म

अदालत को बताया गया कि सीबीआई को आरोपियों के खिलाफ़ अभियोजन स्वीकृति न मिल पाने के चलते 5 जून 2007 को मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी के मुकदमे की प्रक्रिया को खत्म कर दिया गया था। इसी प्रकार 9 मार्च 2008 को अभियोजन स्वीकृति न मिलने के चलते कोर्ट ने आरके शर्मा और राजेंद्र प्रसाद के खिलाफ कार्यवाही चलाने का कोई आधार नहीं पाया और उनकी प्रक्रिया को भी समाप्त कर दिया। इस कार्रवाई को सीबीआई ने हाईकोर्ट में चुनौती दी लेकिन हाईकोर्ट ने मुक़दमे की सुनवाई की प्रक्रिया खत्म करने की कार्रवाई को सही ठहराया था।

अदालत ने पैरवी अफसर की अर्जी पर दिया आदेश

अदालत ने पैरवी अफ़सर की अर्जी पर सुनवाई के बाद आदेश देते हुए कहा है कि इस मामले में एक मात्र लोकसेवक महेंद्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मिल चुकी है जबकि अन्य आरोपी कमल राधू एक प्राइवेट व्यक्ति है लिहाजा उसके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की ज़रूरत नहीं है।

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