विवेचना खारिज हुई, लेकिन दोषियों का पद बरकरार

मंडी परिषद: घोटाला करने वाले और समाप्त करने वाले कई अफसर मलाईदार पदों पर तैनात

Sandesh Wahak Digital Desk : प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पहाड़िया में हुए करोड़ों रुपए के निर्माण घोटाले की जांच को अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत ने प्रकरण की पुन: जांच के आदेश दिए हैं। लेकिन राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद उन्हीं भ्रष्टाचारियों को मलाईदार पदों पर बैठाकर कार्य करा रहा है। मंडी से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि जिन अधिकारियों का नाम भ्रष्टाचार में आया था नियमानुसार अब उनसे कार्य नहीं कराया जा सकता। पदों पर वह भी तैनात हैं जिन्होंने इस भ्रष्टाचार को दबाने में महती भूमिका अदा की थी।

अवर अभियंता सुनीता पर करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप

पहाड़िया मंडी घोटाले की मास्टर माइंड अवर अभियंता सुनीता पर करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप है। एफआईआर में सुनीता का भी नाम था। तत्कालीन निदेशक ने सुनीता को निलंबित भी कर दिया था। एफआईआर में फाइनल रिपोर्ट लगने के बाद सुनीता सहित कई आरोपियों को बहाल कर दिया गया था। लेकिन वाराणसी के एडीजे न्यायालय द्वारा जब पुलिस की विवेचना को खारिज कर दिया गया तो सुनीता पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।

मंडी के कर्मचारियों का कहना है कि विवेचना होने तक सुनीता का महत्वपूर्ण पद पर बने रहना नियम विहीन है। वहीं मिर्जापुर के उपनिदेशक निर्माण वीके राय पर भी ब्लैकलिस्ट फर्मों को बहाल करने और उन्हें फिर से सक्रिय करने का आरोप था। वह भी पद पर बने हुए हैं। यही नहीं अयोध्या के उपनिदेशक निर्माण प्रवीण कुमार ने इस भ्रष्टाचार को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

घोटाले को समाप्त करने में बीएन सिंह की अहम भूमिका

वाराणसी के मंडलायुक्त ने जब मंडी निदेशक को निर्देश दिया था कि बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है, प्रकरण की जांच एसआईटी से कराई जाए। इस पर निदेशक ने एसआईटी जांच न कराकर उपनिदेशक निर्माण प्रवीण कुमार को जांच अधिकारी बना दिया। बताया जा रहा है कि अगर एसआईटी जांच करती तो सत्य सामने आ जाता है। ऐसे में प्रवीण कुमार से जांच कराकर सबको क्लीन चिट दे दी गई। इसी आधार पर भ्रष्टाचार के सभी आरोपियों को बहाल कर दिया गया। अवर अभियंता बीएन सिंह भी पद पर तैनात हैं। घोटाले को समाप्त करने में इनकी भी भूमिका पाई गई है।

मंडी कर्मियों का कहना है कि विवेचना खारिज होने के बाद नैतिक रूप से एक मिनट भी इनको पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। अवर अभियंता सुनीता को पुन: निलंबित किया जाना चाहिए। बावजूद इसके मंडी मुख्यालय के शीर्ष अधिकारी कोई कार्रवाई न करके इस जुगत में लगे हैं कि कैसे इन आरोपियों को बचाया जाए। पहाडिय़ा मंडी के बाकी घोटालेबाज रिटायर हो चुके हैं। हालांकि उन सभी में कार्रवाई को लेकर हडक़ंप मचा हुआ है।

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