UP: चीनी मिल संघ के भ्रष्टों के आगे बेबस सीबीआई

आय से अधिक सम्पत्ति मामले में दोषी डॉ. बीके यादव पर आज तक अभियोजन मंजूरी की दरकार

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava : यूपी में एक तरफ चीनी मिल घोटाले की सीबीआई जांच में फंसे ताकतवर नौकरशाहों को बचाने का उच्चस्तरीय षड्यंत्र जारी है। वहीं दूसरी तरफ चीनी मिल संघ में समाजवादी शासन के दौरान लूट मचाने वाले अफसरों पर केंद्र सरकार मेहरबान है।  दूसरे मायनों में कहें तो यूपी के भ्रष्ट अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अहम तैनातियां बांटी जा रही हैं। तभी अभी तक उ.प्र.सहकारी चीनी मिल संघ लि. के पूर्व प्रबंध निदेशक डॉ. बीके यादव पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।

योगी सरकार ने लिया था सीबीआई जांच कराने का निर्णय

इस अफसर के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में सीबीआई ने अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। इसके बावजूद आज तक सम्पत्तियां भी नहीं जब्त की गयी। डॉ. यादव 18 दिसम्बर 2013 से 27 मई 2017 तक उ.प्र. सहकारी चीनी मिल संघ लि. के प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत रहे। 2017 में यादव के खिलाफ योगी सरकार ने सीबीआई जांच कराने का निर्णय लिया था।

सीबीआई ने इस मामले में सबसे पहले यूपी सरकार के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी को पत्र भेजा था। जिन्होंने केंद्र सरकार के सहकारिता व किसान कल्याण विभाग में निदेशक जैसे अहम पद पर कार्यरत रहे डॉ यादव के संबंध में अभियोजन स्वीकृति के लिए केंद्र को पत्र लिखा था। ऐसा लगता है आज तक सीबीआई इस महाभ्रष्ट के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी का बेसब्री से इन्तजार कर रही है।

कई दागी अफसरों को संवेदनशील पद से नवाजा गया

केंद्र सरकार ने इस दागी अफसर को सहकारिता व किसान कल्याण विभाग में निदेशक जैसे संवेदनशील पद से नवाजा था। तत्कालीन मंडलायुक्त लखनऊ अनिल गर्ग की जांच में कार्मिकों की नियम विरुद्ध नियुक्तियां, पदोन्नतियों व स्थानान्तरण समेत सेवानिवृत्ति से जुड़े भुगतान में धन उगाही, सहकारी चीनी मिलों के विस्तारीकरण, माडिफिकेशन और सामान की खरीद में भ्रष्टाचार, चीनी मिलों से अवैध रूप से शीरा व चीनी बेचने के मामले सही पाए गए थे।

बड़ों का नाम आते ही सीबीआई के तेवर मानो ढीले पड़ जाते हैं। खासतौर पर बड़े नेताओं और अफसरों के मामलों में सीबीआई सबसे पहले क्लीनचिट देना ही मुफीद समझती है। कई मामलों में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट भी कोर्ट से खारिज हो चुकी है। सूची में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी, कुलपति विनय पाठक, पूर्व प्रमुख सचिव दीपक सिंघल समेत कई नाम हैं। हजारों करोड़ के बाइक बोट घोटाले की जांच में भी कई बड़े सफेदपोश फंसे हैं। जिसमें एक प्रमुख पद पर है। दबाव में सीबीआई इस सियासी हस्ती के परिजनों को बख्श रही है।

ईडी ने नहीं दर्ज किया मनी लांड्रिंग का केस

ईडी ने भी अभी तक उ.प्र. सहकारी चीनी मिल संघ लि. के पूर्व प्रबंध निदेशक डॉ. बीके यादव  के खिलाफ पीएमएलए एक्ट के तहत मनीलांड्रिंग का केस नहीं दर्ज किया है। जबकि सीबीआई ने मई 2021 में यादव के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में पीई दर्ज की थी। जिसकी विस्तृत जांच में ये भ्रष्ट अफसर दोषी पाया गया है। डॉ. यादव की बेहिसाब सम्पत्तियां बतायी जा रही हैं।

संजय अग्रवाल की दरियादिली से मिली थी अहम तैनाती

पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्ट अफसर डॉ. बीके यादव को केंद्र में अहम तैनाती से नवाजा था। अग्रवाल की गर्दन भी अरबों के पीएफ घोटाले की सीबीआई जांच में फंसी थी। सीबीआई ने अग्रवाल समेत तीन आईएएस के खिलाफ इस घोटाले में जांच आगे बढ़ाने की मंजूरी मांगी थी, लेकिन यूपी सरकार ने मना कर दिया था।

Also Read : UP : अरबों के चीनी मिल घोटाले की सीबीआई जांच पटरी से उतरी

Get real time updates directly on you device, subscribe now.