UP: कब तक जारी रहेगा हजारों करोड़ के पीएफ घोटाले की जांच से खिलवाड़ !

सीबीआई व ईडी की हीलाहवाली, डीएचएफएल के प्रमोटरों की जमानत, मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में संपत्तियां तक जब्त नहीं

Sandesh Wahak Digital Desk : यूपी में बड़े घोटालों की जांच से किस अंदाज में खिलवाड़ किया जाता है। इसका सीधा उदाहरण हजारों करोड़ का पीएफ घोटाला है। तकरीबन 40 हजार बिजली कर्मियों की गाढ़ी कमाई डुबोने के आरोपी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के पूर्व सीएमडी कपिल वधावन और धीरज वधावन को एक दिन पहले ही हाईकोर्ट से जमानत भी मिल गयी है। इससे न सिर्फ सीबीआई बल्कि ईडी की कार्यप्रणाली भी कटघरे के दायरे में आ गयी है।

डीएचएफएल के पूर्व सीएमडी कपिल वधावन और धीरज वधावन

4200 करोड़ के पीएफ घोटाले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल करके खानापूर्ति कर ली है। यूपी सरकार ने वरिष्ठ आईएएस आलोक कुमार, अपर्णा यू और संजय अग्रवाल (रिटायर) के खिलाफ जांच की अनुमति देने से सीबीआई को पहले ही इंकार कर दिया था। इसके बाद सीबीआई अफसर हाथ पर हाथ धरकर बैठ गए। सीबीआई से जुड़े सूत्रों के मुताबिक भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 17 ए के कारण हमारे हाथ बंधे हैं।

दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड

पीएफ घोटाले में शामिल बाकी आरोपियों का मनोबल भी बढ़ा

इन अफसरों के खिलाफ जांच न होने से पीएफ घोटाले में शामिल बाकी आरोपियों का मनोबल भी बढ़ा है। आरोपी कोर्ट में लाखों रुपए देकर महंगे वकील खड़े करके सीबीआई को चुनौती दे रहे हैं। जिसमें पूर्व एमडी एपी मिश्रा का नाम प्रमुख है। वहीं डीएचएफल के कर्ताधर्ताओं ने अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के बेहद करीबी इकबाल मिर्ची की कम्पनी सनब्लिंक में अरबों रुपया भेज दिया। 4200 में से तकरीबन 2200 करोड़ की बिजली कर्मियों की गाढ़ी कमाई पूरी तरह डूब चुकी है।

प्रवर्तन निदेशालय

पीएफ घोटाले में ईडी भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है। लेकिन अभी तक किसी की सम्पत्तियां जब्त नहीं की गयी। खास बात ये हैं कि दोनों आरोपी 26 मई, 2020 से जेल में हैं और मामले में अभी तक सुनवाई भी शुरू नहीं हुई है। ऐसे में ईडी को वाधवान बंधुओं की जमानत अर्जी का कड़ा विरोध करना चाहिए था। लेकिन सीबीआई और ईडी पहले भी यूपी से जुड़े घोटालों की जांचों में हीलाहवाली कर चुकी हैं।

नौ अकाउंटेंट के खिलाफ भी जांच की अनुमति नहीं

सीबीआई ने पीएफ घोटाले में आईएएस संजय अग्रवाल (अब रिटायर), आलोक कुमार और अपर्णा यू समेत 12 अफसरों के खिलाफ जांच शुरू करने की अनुमति सरकार से मांगी थी। सरकार ने आईएएस के खिलाफ जांच की अनुमति न देते हुए सीबीआई के दावों पर ही सवाल खड़े कर दिए। सूत्रों की माने तो सीबीआई को अभी तक कार्पोरेशन के नौ अकाउंटेंट के खिलाफ भी जांच शुरू करने की अनुमति नहीं मिली है।

ताकतवर अफसरों के आगे बेबस हैं जांच एजेंसियां

चीनी मिल घोटाले में फंसे प्रदेश के सबसे ताकतवर अफसर के खिलाफ भी सीबीआई को अभी तक जांच शुरू करने की अनुमति नहीं दी गयी है। 1100 करोड़ का झटका इस घोटाले में यूपी सरकार को लगा था। हालांकि यूपी में कई घोटालों में फंसे बड़े भ्रष्टों के खिलाफ सीबीआई को अभियोजन मंजूरियां भी नहीं दी गयी हैं। जिसमें यूपी समाज कल्याण बोर्ड घोटाला प्रमुख रूप से शामिल है।

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