Uttar Pradesh Politics: भाजपा के पाले में सुभासपा, फिर भी मांगों पर चुप्पी

उत्तर प्रदेश (UP) में भाजपा ने मिशन 2024 के लिए सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर को एक तरह से अपने पाले में कर ही लिया है।

Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में भाजपा ने मिशन 2024 के लिए सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर को एक तरह से अपने पाले में कर ही लिया है। सिर्फ एलान की औपचारिकता मात्र रह गयी है। इसका साक्षात नाजारा राजभर के बेटे अरुण राजभर के वैवाहिक समारोह में नजर भी आ गया। लेकिन राजभर की मांगों पर भाजपा अभी तक अपने पत्ते नहीं खोल रही है। भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अभी सुभासपा मुखिया से कई दौर की बातचीत के बाद तस्वीर साफ़ होगी।

सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर के बेटे अरुण राजभर की शादी और रिसेप्शन पर पीएम मोदी और सीएम योगी की तरफ से बधाई आई। मंत्रियों का जमावड़ा लगा। सपा-रालोद के भी कद्दावर नेता पहुंचे। बाहुबलियों की कतार दिखाई दी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ओपी राजभर इस समय विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के पसंदीदा हैं। भले ही वह भाजपा और सपा दोनों से अलग हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में फिर उनके साथ गठबंधन को दोनों दल लालायित दिखाई देते हैं। यही कारण है कि राजभर की तरफ से मिले न्योते जैसे मौके को कोई भी जाने नहीं देना चाहता था।

सुभासपा, भाजपा के लिए दिखा चुकी है अपना प्रेम

ओपी राजभर के छोटे बेटे और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अरुण राजभर की शादी और रिसेप्शन में उपस्थित हुए राजनेताओं और अधिकारियों की लिस्ट ने अगले लोकसभा चुनाव को लेकर काफी कुछ साफ कर दिया है। उनका भाजपा के साथ गठबंधन करना अब मात्र एक औपचारिता ही लगता है। वैसे भी राष्ट्रपति चुनाव से लेकर एमएलसी चुनाव तक सुभासपा ने भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में वोट किया और खुलकर इसे स्वीकार भी किया है। इसके बावजूद भाजपा के सियासी रणनीतिकार फिलहाल खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।

वाई श्रेणी की सुरक्षा ने पहले ही लगाई थी मुहर

दयाशंकर सिंह और तत्कालीन यूपी भाजपा (Uttar Pradesh BJP) प्रमुख स्वतंत्र देव सिंह ने राजभर के साथ बैठक की थी। सपा के साथ उनके गठबंधन को तोडऩे की कोशिश हुई थी लेकिन यह चाल विफल हो गई थी। हालांकि 2022 के चुनाव के बाद ओपी राजभर की सपा से दूरियां बढ़ गईं। योगी सरकार ने उन्हें वाई श्रेणी का सुरक्षा कवच दे दिया। इससे साफ हो गया कि भाजपा के साथ उनका जाना तय हो गया है।

सुभासपा का साथ छोडऩे से घाटे में रही सपा और भाजपा

2017 के विधानसभा चुनाव में भले ही राजभर की पार्टी खुद केवल चार सीटें जीत सकी लेकिन भाजपा ने पूर्वी यूपी में (BJP in Eastern Uttar Pradesh) एक तरह से दूसरे दलों का सफाया कर दिया था। भाजपा को पूर्वी यूपी में 72 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जिस सपा को 2012 में यहां 52 सीटें मिली थीं, उसके पास केवल सात सीटें रह गईं। लोकसभा चुनाव के ठीक बाद उनकी सीएम योगी से नहीं बनी और उन्होंने गठबंधन से किनारा कर लिया। 2022 के चुनाव में सुभासपा ने सपा के साथ गठबंधन किया तो दोनों दलों को फायदा हुआ। सपा गठबंधन की सीटें यूपी में 47 से बढक़र 111 हो गईं। सुभासपा ने भी छह सीटों पर जीत हासिल कर ली। यह अब तक उसकी सबसे बड़ी जीत थी।

कहीं शिवपाल जैसा हाल राजभर का न हो जाए

सूत्रों के मुताबिक सुभासपा को भाजपा से मिशन 2024 के मद्देनजर बड़ी आस है। लेकिन यही उम्मीदें कभी सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव को भी थी। शिवपाल भी लम्बे समय तक भाजपा के सम्पर्क में थे। उन्हें बाकायदा मायावती का बड़ा बंगला भी योगी सरकार ने दिया था। लेकिन भाजपा ने उनका साथ कुबूल नहीं किया। जिसका दर्द उन्होंने सदन में मुख्यमंत्री के सामने बयां किया।

ठीक इसी तरह अब सुभासपा प्रमुख भी भाजपा के साथ गलबहियां डाले घूम रहे हैं। लेकिन भाजपा अभी भी उनकी मांगों पर सिर्फ आश्वासन के आगे कुछ देने में खुद को असमर्थ ही पा रही है।

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