शिक्षा व्यवस्था में अव्यवस्था: बिना कॉपी-पेंसिल के पढ़ रहे हैं Primary Schools के बच्चे!

उत्तर प्रदेश सरकार के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों (Primary Schools) के बच्चे बिना, कापी, पेंसिल और रबड़ के पढऩे के लिए मजबूर हैं।

Sandesh Wahak Digital Desk/Ajay Srivastav: उत्तर प्रदेश सरकार के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों (Primary Schools) के बच्चे बिना, कापी, पेंसिल और रबड़ के पढऩे के लिए मजबूर हैं। यहीं नहीं उनके पास नई यूनीफार्म भी नहीं है, क्योंकि प्रदेश सरकार ने अभी तक उनके पेरेंट्स के खाते में यूनीफार्म और स्टेशनरी का पैसा नहीं भेजा है। यह हाल राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश (Eucation system in up) भर का है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का संचालन बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से किया जाता है। इन विद्यालयों की संख्या प्रदेश में करीब एक लाख 30 हजार है। इसमें लगभग 1 करोड़ 91 लाख बच्चे कक्षा एक से लेकर कक्षा आठ तक में पढ़ते हैं।

वहीं लखनऊ में प्राथमिक विद्यालय (Primary Schools) 1150 हैं। और उच्च प्राथमिक विद्यालय 250 के करीब है। इन स्कूलों में करीब 25 हजार बच्चे पढ़ते है। अगर राजधानी लखनऊ की बात की जाए तो इन विद्यालयों में अधिकांश बच्चे बिना स्टेशनरी (कापी, पेंसिल व रबड़) के पढ़ रहे हैं। शैक्षिक सत्र शुरू हुए करीब डेढ़ माह हो गया है, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग (Basic education department) अब तक उन्हें स्टेशनरी व यूनीफार्म का पैसा नहीं उपलब्ध करा पा रहा है।

कापी, पेंसिल नहीं तो होमवर्क भी नहीं देते शिक्षक

शिक्षकों के मुताबिक कुछ के पास तो पेंसिल-रबड़ होती है। उनके अभिभावक खुद खरीद के दे रहे हैं। इन बच्चों की पेंसिल से ही दूसरे बच्चे लिखते हैं। कुछ बच्चों को तो शिक्षकों ने अपने पास से खरीद कर पेंसिल दी है। यहीं नहीं शिक्षकों ने बताया कि कॉपी नहीं होने से केवल उन्हें ब्लैक बोर्ड (Blackboard) पर ही पढ़ाया जाता है। होमवर्क नहीं देेते हैं।

सीएम ने 100 रुपये देने का किया था ऐलान

मुख्यमंत्री योगी ने यूनीफार्म के अलावा 100 रुपये स्टेशनरी के लिए देने का ऐलान किया था। इसके बाद यह पैसा भी पिछले सत्र में यूनीफार्म की 1100 रुपए की धनराशि के साथ डीबीटी के जरिए बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते में भेज गया। इस तरह कुल 1200 रुपए अभिभावकों को मिले थे। इसी तरह एक अप्रैल से शुरू हुए नए शैक्षिक सत्र में भी अभिभावकों के बैंक खाते में पैसा जाना है।

प्रदेश सरकार की तरफ से डीबीटी के माध्यम से स्टेशनरी के लिए 100 रुपए मिलते हैं। इससे विद्यार्थी 4 कॉपी, दो पेन, दो पेंसिल और दो रबड़ और दो शार्पनर खरीदेंगे। समग्र शिक्षा अभियान के तहत बजट 2022-23 में सरकार ने 166 करोड़ की व्यवस्था बच्चों के स्टेशनरी के लिए की थी।

स्कूल खुलने पर पुराने बच्चों का वेरिफिकेशन कराया जाता है कि किस बच्चे ने स्कूल छोड़ दिया है। इसमें कुछ समय लगता है। इसके बाद ही धनराशि जारी की जाती है। अभी वेरिफिकेशन करा रहे हैं। बजट मिलते ही बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते में यूनीफॉर्म सहित स्टेशनरी का पैसा भेज दिया जाएगा।
अरुण कुमार (बेसिक शिक्षा अधिकारी, लखनऊ)

वहीं, विद्यालयों (primary schools के शिक्षकों का कहना है कि सरकार पुराने बच्चों को तो यूनीफार्म और स्टेशनरी का पैसा दे सकती है, क्योंकि उनका आधार, उनके पिता के बैंक खाते से लिंक है। इसके बावजूद पुराने बच्चों को यूनीफार्म और स्टेशनरी का पैसा नहीं मिला है। वहीं विभाग के अधिकारी ये कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि पुराने बच्चों का भी वेरिफिकेशन (Verification) कराना पड़ता है, जबकि शिक्षक इसे बहानेबाजी करार देते हैं।

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