संपादकीय: India के प्रति China की मंशा

भारत (India) के प्रति चीन अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है।

संदेशाहक डिजिटल डेस्क। भारत (India) के प्रति चीन अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। सीमा पर तनाव के बीच अब उसने अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के नामों की सूची जारी कर भारत को उकसाने की कोशिश की है। भारत ने भी इस मुद्दे पर चीन को उसी की भाषा में समझा दिया है। विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और बना रहेगा। नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलती है।

सवाल यह है कि…

  • जमीनी हकीकत को जानते हुए भी चीन ऐसा क्यों कर रहा है?
  • क्या इस प्रकार के दांव-पेच से वह अरुणाचल प्रदेश में अपने दावों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है?
  • क्या हांगकांग से चल रही तनातनी से भारत (India) को दूर रखने के लिए चीन ने यह चाल चली है?
  • क्या घरेलू मुद्दों से परेशान चीन की सरकार अपने नागरिकों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रही है?
  • विश्व में शांति की वकालत करने वाला चीन अपने पड़ोसियों के प्रति विस्तारवादी और आक्रामक रवैए को क्यों अपनाए हुए है?
  • क्या चीन की मंशा एलएसी पर तनाव को बरकरार रखना है?

चीन और भारत (China and India) के बीच कभी भी मधुर संबंध नहीं रहे हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान भारतीय और चीनी फौजों के बीच हुई दो खूनी झड़पों (skirmishes between Indian and Chinese forces) ने तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं और एक छोटी चिंगारी बड़े युद्ध में तब्दील हो सकती है।

क्वाड का संस्थापक सदस्य है भारत

सच यह है कि चीन, दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बनना चाहता है। वह भारत (India) को अपने मार्ग का सबसे बड़ा रोड़ा मानता है। भारत क्वाड का संस्थापक सदस्य (Founding member of India Quad) है। इसका गठन अघोषित रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीतियों पर अंकुश लगाने के लिए किया गया है। भारत के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान इसमें शामिल हैं।

क्वाड के संस्थापक सदस्य

चीन की विस्तारवादी नीति में भारत सबसे बड़ा बाधक

वहीं, हांगकांग के मुद्दे पर अमेरिका से चीन की तनातनी चरम पर है और भारत-अमेरिका की नजदीकियों को लेकर भी वह सशंकित है। अमेरिका यह अच्छी तरह जानता है कि चीन को केवल भारत ही नियंत्रित रख सकता है। जाहिर है उसकी विस्तारवादी नीति में भारत सबसे बड़ा बाधक है। इसके अलावा कोरोना के बाद चीन की साख विश्व में सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है। वायरस ने उसकी अर्थव्यवस्था को बेपटरी कर दिया है। महंगाई-बेरोजगारी को लेकर वहां के नागरिकों में आक्रोश है और वे कई बार सडक़ों पर उतरकर प्रदर्शन कर चुके हैं। इन सब स्थितियों को देखते हुए वह भारत को उलझाए रखना चाहता है। यही वजह है कि वह कभी अरुणाचल प्रदेश में दावा करता है और कभी सीमा पर उकसाने की कार्रवाई करता है।

साफ है चीन से सतर्क रहने की जरूरत है। इसके अलावा अपने इस पड़ोसी मुल्क से निपटने के लिए भारत को न केवल स्वतंत्र तिब्बत की मांग बल्कि हांगकांग का खुलकर समर्थन करना चाहिए। साथ ही वैश्विक मंच पर चीन को घेरने की रणनीति पर भी काम करने की जरूरत है।

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