संपादक की कलम से: स्वदेशी सैन्य उत्पादों पर फोकस

भारत सरकार सैन्य उपकरणों और साजो-सामान के मामले में आत्मनिर्भर होने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। विदेश से आयात होने वाले सैन्य उत्पादों को देश में ही निर्मित करने की प्रक्रिया को धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है।

Sandesh Wahak Digital Desk: भारत सरकार सैन्य उपकरणों और साजो-सामान के मामले में आत्मनिर्भर होने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। विदेश से आयात होने वाले सैन्य उत्पादों को देश में ही निर्मित करने की प्रक्रिया को धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, टैंक और तोप आदि के निर्माण पर भी विशेष फोकस है। इसके पीछे सरकार की मंशा न केवल सेना के लिए जरूरी वस्तुओं का निर्माण देश के भीतर करना है बल्कि वैश्विक आयुध बाजार में अपनी दमदार उपस्थिति भी दर्ज करानी है।

सवाल यह है कि…

  • सैन्य उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाने का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
  • क्या इससे सैन्य साजो-सामान की गुणवत्ता नहीं प्रभावित होगी?
  • क्या स्वदेशी कंपनियां विश्व स्तर की तकनीकी से लैस हैं?
  • क्या वैश्विक हथियार और सैन्य उपकरणों के बाजार में भारत निकट भविष्य में अहम भूमिका निभाने में सफल होगा?
  • क्या सरकार के इस फैसले का असर वैज्ञानिक और तकनीकी शोधों के विकास पर पड़ेगा?

रक्षा बजट में वृद्धि का दिखने लगा है फायदा

केंद्र की मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है। इसे जमीन पर उतारने के लिए कई क्षेत्रों में काम किए जा रहे हैं। सैन्य क्षेत्र में सरकार विशेष दिलचस्पी ले रही है। लिहाजा स्वदेशी लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, तोप और टैंक समेत अन्य सैन्य उपकरणों का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए रक्षा बजट में वृद्धि भी की गई है। सरकारी संस्थानों को इनके निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसका फायदा भी दिख रहा है।

2500 उत्पाद देश में किए जा रहे हैं निर्मित

पिछले कुछ सालों में विमानों से लेकर टैंकों तक का निर्माण देश के भीतर तेजी से शुरू हुआ है। सेना के उपयोग में आने वाले उपकरणों और सब-सिस्टम का उत्पादन भी धीरे-धीरे देश में किया जा रहा है। यही वजह है कि सरकार ने विदेश से आयातित होने वाले 928 उपकरणों और सब सिस्टम को प्रतिबंधित कर दिया है और इनको देश में ही निर्मित करने को हरी झंडी दे दी है। इसके पहले सरकार ने तीन और उपकरणों की लिस्ट जारी की थी। इन लिस्टों में दर्ज 2500 उत्पाद देश में निर्मित किए जा रहे हैं। 1238 अन्य उत्पादों में 310 का स्वदेशीकरण पूरा हो चुका है और इसका जल्द उत्पादन शुरू होगा।

चूंकि भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदारों में है। ऐसे में इन उत्पादों के यहीं पर निर्माण शुरू होने से विदेश जाने वाला धन यही रहेगा। स्वदेश में निर्माण से यहां रोजगार का सृजन होगा। वहीं अन्य छोटे देशों में इन उपकरणों का निर्यात कर भारत अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकेगा।

भारत की मिसाइल और हल्के लड़ाकू विमानों की मांग वैश्विक बाजार में तेजी से बढ़ी है। कई देशों ने भारत से इसकी खरीद की इच्छा जाहिर की है। कुछ देशों ने समझौते भी किए हैं। जाहिर है रक्षा उत्पादों में भारत की साख वैश्विक बाजार में धीरे-धीरे बढ़ रही है। यदि काम इसी गति से चलता रहा तो आने वाले दिनों में विश्व बाजार में भारत के सैन्य साजो-सामान की मांग बढ़ेगी। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

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