संपादक की कलम से : भ्रामक विज्ञापनों पर जवाबदेही

Sandesh Wahak Digital Desk: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का दायरा बढ़ा दिया है। कोर्ट ने पहले सरकार से कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट तलब की और अब इन विज्ञापनों को करने वाले सिलेब्रिटी को भी घेरे में ले लिया है। अदालत ने साफ कर दिया है कि यदि विज्ञापन में कोई भ्रामक दावा किया गया है तो इसके लिए कंपनी के साथ विज्ञापन करने वाले सिलेब्रिटी भी बराबर के जिम्मेदार हैं। साथ ही कंपनियों से नियम के मुताबिक विज्ञापन पर एक हलफनामा लेने का भी निर्देश दिया है।

सवाल यह है कि :

  • शीर्ष अदालत के आदेश के बाद क्या सिलेब्रिटी विज्ञापनों की सत्यता या दावों को परखे बिना इसका प्रचार करेंगे?
  • ऐसा न करने वालों के खिलाफ क्या निकट भविष्य में कोर्ट सरकार को कड़े कानून बनाने का सुझाव दे सकता है?
  • क्या इससे भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगेगा?
  • क्या सेहत के लिए हानिकारक वस्तुओं के शानदार ढंग से विज्ञापन करने वाले सेलिब्रिटी अपनी सार्वजनिक जिम्मेदारी समझेंगे या पैसे के लिए सब-कुछ करते रहेंगे?
  • क्या कोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी या अधिकारियों की मिलीभगत से यह धंधा जारी रहेगा?

सुप्रीम कोर्ट भ्रामक विज्ञापनों को लेकर अहम सुनवाई कर रही है। अदालत ने जनहित के इस मुद्दे पर बेहद सख्त रुख अपनाया है और साफ कर दिया है कि वह किसी एक कंपनी नहीं बल्कि सभी द्वारा जारी किए जा रहे भ्रामक विज्ञापनों पर नजर रखे हुए हैं। कोर्ट का मानना है कि खाद्य वस्तुओं और अन्य उत्पादों को लेकर कई बार भ्रामक दावे किए जाते हैं।

कंपनियां सेलिब्रिटी से करावा रही प्रचार

इसके उपयोग से लोगों की सेहत पर खराब असर पड़ रहा है। कंपनियां अपने विज्ञापनों का प्रचार कराने के लिए सिलेब्रिटी और अभिनेताओं से अपने उत्पादों का प्रचार कराती है। इसका सीधा असर जनता पर पड़ता है और वह इन उत्पादों को गुणवत्ता परक मानकर उनका प्रयोग करना शुरू कर देती है। सिलेब्रिटी उत्पादों के दावों की सत्यता को जाने बिना इनका प्रचार करते हैं और इसके एवज में कंपनियों से भारी-भरकम रकम लेते हैं।

यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर व्यवस्था कर दी है कि यदि कोई उत्पाद अपने दावों पर खरा नहीं उतरता है तो इसके लिए कंपनी के साथ ये सिलेब्रिटी भी जिम्मेदार होंगे। कोर्ट का यह फैसला व्यापक जनहित में सराहनीय हैं। हालांकि यह तो वक्त बताएगा कि इसका सिलेब्रिटी पर क्या असर पड़ता है क्योंकि ये जानलेवा और नुकसानदायक वस्तुओं का भी खुलेआम प्रचार करने से बाज नहीं आते हैं।

वहीं भ्रामक विज्ञापनों पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार को भी कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक सख्त कदम उठाने होंगे। साथ ही ऐसी कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी। सरकार को इस बात पर भी विचार करना होगा कि ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को करने से सिलेब्रिटी को कैसे रोका जाए अन्यथा स्थितियां काबू में नहीं आएंगी।

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