संपादक की कलम से : ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात के मायने

Sandesh Wahak Digital Desk: भारत सरकार ने स्वदेश निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की पहली खेप फिलीपींस को भेज दी है। रक्षा उपकरणों के निर्यात की दिशा में यह भारत की महत्वपूर्ण पहल है। चीन से बढ़ते तनाव के बीच फिलीपींस को मिसाइल का निर्यात काफी अहम है। इसके साथ ही अन्य छोटे देशों से रक्षा सौदों का रास्ता भी साफ हो गया है।

सवाल यह है कि :

  • क्या निकट भविष्य में भारत रक्षा सौदों के लिए जमीन तैयार कर रहा है?
  • क्या फिलीपींस को भेजे गए ब्रह्मोस मिसाइल से चीन से तनाव और बढ़ने की आशंका है?
  • क्या भारत, हथियार बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब हो सकेगा?
  • छोटे देशों द्वारा ब्रह्मोस की मांग क्यों की जा रही है?
  • क्या फिलीपींस के ब्रह्मोस मिसाइल से लैस होने के बाद दक्षिण चीन सागर में तनाव और बढ़ेगा?
  • क्या इस क्षेत्र में हथियारों की होड़ बढ़ेगी?
  • भारत को इससे क्या कूटनीतिक और रणनीतिक फायदे होंगे?
  • क्या देश की अर्थव्यवस्था और अन्य रक्षा उपकरणों के निर्यात पर इसका असर पड़ेगा?

भारत और फिलीपींस के बीच 2022 में ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सौदा हुआ था। इस सौदे के तहत ही मिसाइलें वहां भेजी गईं। फिलीपींस ही नहीं बल्कि चीन की विस्तारवादी और आक्रामक नीति से परेशान अधिकांश छोटे देश खुद को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करना चाहते हैं। फिलीपींस और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर पर कब्जे को लेकर संघर्ष चल रहा है। चीन, दक्षिण चीन सागर पर कब्जा करना चाहता है। वह इसे लेकर फिलीपींस को समय-समय पर धमकियां भी देता रहा है। चीन की इस आक्रामक नीति के कारण यह देश काफी असुरक्षित महसूस करता है।

परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है ब्रह्मोस मिसाइल

यही वजह है कि वहां की सरकार ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का फैसला लिया है। चीन को जवाब देने के लिए वह ब्रह्मोस मिसाइल को पाने की कोशिश करता रहा है क्योंकि यह मिसाइल न केवल सटीकता से निशाना साधती है बल्कि परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है। चीन भी इस मिसाइल से बेहद घबराता है। यही वजह है कि भारत, दक्षिण चीन सागर में कूटनीतिक और रणनीति बढ़त लेने के लिए इस सौदे को मंजूरी दी है।

इससे अन्य छोटे देशों द्वारा भी भारत से हथियार खरीदने का रास्ता साफ हो सकता है। वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देश कई वर्षों से इस हथियार प्रणाली के लिए बातचीत कर रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में ब्रह्मोस के साथ अन्य रक्षा सौदों की डील भी हो सकती है। इससे न केवल हथियार बाजार में भारत एक निर्यातक की भूमिका में आ जाएगा बल्कि रक्षा क्षेत्र में नए अनुसंधानों को भी बढ़ावा मिलेगा। देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा। फिलहाल, इस मिसाइल का निर्यात कर भारत ने चीन पर कूटनीति और रणनीति बढ़त जरूर हासिल कर ली है और आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हथियार की होड़ शुरू हो सकती है।

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