हैदराबाद पुलिस का खुलासा, लखनऊ में 61 खाते खोलकर चीनी हैंडलर्स व आतंकियों को भेजी रकम

खुलासे की सबसे अहम कड़ी है लखनऊ, तीन माह तक यहां रहे जालसाज, सोती रही एलआईयू, लखनऊ कमिश्नरेट की पुलिस और ईडी, दर्जनों फर्जी कंपनियों के सहारे करोड़ों की मनी लांड्रिंग...

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava : आपके पास अक्सर व्हाट्सऐप मैसेज आते होंगे, यूट्यूब वीडियो लाइक करो, गूगल रिव्यू लिखो और खूब पैसे कमाओ। इस तरह पहले लोगों को जोड़ा जाता है। फिर उनकी गाढ़ी कमाई का निवेश कराकर सैकड़ों करोड़ की ठगी की कलंक कथा लिखी जाती है।

इस ठगी के फेर में फंसकर देशभर के 15 हजार लोगों ने सिर्फ साल भर में सात अरब रूपए गंवा दिए। हैदराबाद पुलिस के इस खुलासे की सबसे अहम कड़ी लखनऊ है। फिलहाल कुल नौ आरोपी अभी गिरफ्तार किये गए हैं। उत्तरप्रदेश की राजधानी में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था के तहत 17 आईपीएस और 32 पीपीएस बैठते हैं। इसके बावजूद महीनों तक जालसाजों ने लखनऊ में रहकर फर्जीवाड़े की पूरी स्क्रिप्ट को अमलीजामा पहनाया और साइबर क्राइम के बड़े अफसरों से लेकर लखनऊ पुलिस के जिम्मेदारों को कानोकान भनक तक नहीं लगी।

यही नहीं ईडी की लखनऊ यूनिट भी बेखबर रही। इस मामले के तार न सिर्फ चीनी हैंडलर बल्कि लेबनान में सक्रिय फिलिस्तीनी आतंकी गुट हिज्बुल्लाह से भी जुड़े हैं। जालसाजों ने देशभर में 113 भारतीय बैंक खातों का इस्तेमाल किया, इसमें से आधे सिर्फ लखनऊ में फर्जी कंपनियों के सहारे खोले गए।

‘संदेश वाहक’ से हैदराबाद की साइबर क्राइम यूनिट से जुड़े बड़े अफसरों ने कई राज साझा किये। साजिश के तहत हैदराबाद से आया मुनव्वर अपने तीन सहयोगियों-अरुल दास, शाह सुमैर और समीर खान के साथ लखनऊ आया था। यहां वो किराए के मकान में तकरीबन तीन माह तक रहा। बैंकों में खाते खोलने के लिए स्थानीय पते की जरूरत यहीं से पूरी हुई।

बैंकों में तकरीबन 60 करोड़ की रकम का लेनदेन

आरोपियों ने लखनऊ के यस, एक्सिस, आईसीआईसीआई, आईडीएफसी जैसे निजी बैंकों में 61 खाते खोले। ये खाते 33 फर्जी कंपनियों के नाम पर खोले गए थे। इस खेल में मनीष, राजेश और विकास समेत तकरीबन आधा दर्जन से ज्यादा लोग शामिल हैं। अफसरों को शुरूआती जांच में अंदेशा है कि सिर्फ लखनऊ के इन बैंकों में तकरीबन 60 करोड़ की रकम का लेनदेन किया गया है।

लखनऊ आई थी हैदराबाद साइबर क्राइम यूनिट

यही नहीं दो दिन पहले हैदराबाद साइबर क्राइम यूनिट के करीब छह अफसरों की एक जांच टीम भी दो दिन पहले लखनऊ आयी थी। जिसने बेहद गोपनीय तरीके से बिना लखनऊ पुलिस को सूचना दिए जांच करके अहम सुराग जुटाए। साथ ही लखनऊ और उसके आसपास हैदराबाद पुलिस ने छापेमारी भी की। लेकिन कुछ बड़े खिलाडी इस दौरान फरार हो गए।

लखनऊ में खोले गए बैंक खातों के लिए तकरीबन सवा करोड़ (प्रति खाता दो लाख मिले) की रकम आरोपियों को मिली थी। कुछ बैंक खातों से बड़े लेनदेन किये गए हैं। चीनी हैंडलर केविन जून, की लू लांग्झू और शाशा ने इन खातों से काफी धन लेबनान के हिज्बुल्लाह आतंकी गुट के पास भेजा है। फर्जीवाड़ा एप के सहारे दुबई से ऑपरेट हो रहा था। लोगों को इन्वेस्टमेंट-कम-पार्ट टाइम जॉब के नाम पर लालच दिया गया था। हैदराबाद पुलिस के अफसरों ने केंद्रीय एजेंसियों और गृह मंत्रालय की साइबर क्राइम यूनिट को भी अलर्ट कर दिया गया है।

हैदराबाद पुलिस की डिप्टी कमिश्नर (साइबर क्राइम) स्नेहा मेहरा ने संदेश वाहक को बताया कि लखनऊ में चार आरोपी तीन माह तक रहे और 33 फर्जी कंपनियों के नाम पर 61 खाते बैंकों में खोले। शुरूआती पड़ताल में 50 से 60 करोड़ के लेनदेन की बात सामने आ रही है। हमारी पुलिस टीम दो दिन पहले लखनऊ गयी थी। लेकिन कुछ आरोपी फिलहाल फरार हैं। अगर लखनऊ पुलिस इस मामले की रिपोर्ट मांगेगी तो हम जरूर देंगे। बैंकों के अफसरों की मिलीभगत की भी जांच होनी चाहिए। मनीलांड्रिंग की जांच के लिए ईडी को भी पत्र लिखा जायेगा।

लखनऊ पुलिस के मांगने पर पूरी रिपोर्ट देंगे : डीसीपी (साइबर क्राइम) हैदराबाद पुलिस

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