लाल डायरी प्रकरण: कभी फाइल कराने के नाम पर तो कभी बेडरूम तक पहुंचाया गया कमीशन

Sandesh Wahak Digital Desk : राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के प्रयागराज निर्माण खंड में बतौर अवर अभियंता तैनात रहे आत्माराम सरोज का नाम लाल डायरी में बड़े कमीशनबाज के रूप में दर्ज है। इनका कमीशन इनके बेडरूम तक पहुंचाया जाता था। 01 दिसंबर 2017 से 30 जनवरी 2019 के बीच इन्होंने तीन करोड़ से ऊपर कमीशन के रूप में प्राप्त किए।

इस तरह से आत्माराम लाल डायरी में दर्ज सबसे बड़े कमीशन बाज हैं। कौशांबी के एक ही विधानसभा क्षेत्र में 765 सडक़ों का पुर्ननिर्माण का घोटाला आत्माराम सरोज से ही जुड़ा है। लाल डायरी के मुताबिक 10 दिसंबर 2017 को आत्माराम ने कौशांबी की एक फाइल कराने के लिए डेढ़ लाख रुपए कमीशन लिया था। यह डेढ़ लाख किस अधिकारी को देना था यह जांच के बाद ही सामने आएगा।

बांदा में तैनात सहायक अभियंता का कारनामा, तीन करोड़ रुपए प्राप्त किए कमीशन

आत्माराम सरोज इस समय बांदा जिले के निर्माण खंड में सहायक अभियंता हैं। इन्होंने दो वर्ष के भीतर 55 बार कमीशन प्राप्त किए। आत्माराम ने सर्वाधिक कमीशन यानी 10 लाख रुपए किसी बलवीर सिंह के घर से प्राप्त किया। चार अलग-अलग तिथियों में आठ-आठ लाख रुपए अपने निवास पर प्राप्त किए। सात लाख से पांच लाख के बीच करीब 10 बार कमीशन प्राप्त किए।

आत्माराम ने लाल डायरी में दर्ज सभी कमीशनबाजों का रिकार्ड तोड़ दिया। डायरी के मुताबिक आत्माराम ने करीब 55 बार कमीशन प्राप्त किया, जिसमें से 30 बार कमीशन को घर तक मंगवाया। 10 बार कार्यालय से प्राप्त किया। 30 जनवरी 2019 के बाद भी छह बार आत्माराम सरोज ने कमीशन प्राप्त किया। जिसमें से ढाई लाख रुपए ऑफिस से फाइल कराने के लिए लिया गया।

एक ही विधानसभा क्षेत्र के 765 सडक़ों को गड्ढामुक्त करने में घोटाले का लगा था आरोप

आत्माराम सरोज पर विगत वर्षों में कई घोटालों को लेकर कार्रवाइयां हो चुकी हैं, लेकिन मंडी प्रशासन ने अब भी आत्माराम को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे रखी है। कौशांबी के एक ही विधानसभा क्षेत्र में 765 सडक़ों को गड्ढामुक्त करने में आत्माराम पहले से चर्चा में आ चुके हैं। हालांकि डिप्टी सीएम कार्यालय से प्रकरण का पुन: संज्ञान लेेने की चर्चा है। प्रयागराज निर्माण खंड में हुए ढाई करोड़ के फर्जी भुगतान प्रकरण में निदेशक ने बड़ी कार्रवाई की है, लेकिन लाल डायरी प्रकरण में अभी तक उन्होंने संज्ञान नहीं लिया है। इससे मंडी परिषद के कर्मचारियों में ही निदेशक की भूमिका सवालों के घेरे में है।

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