Lucknow Crime: ब्लैक मास्क बना पुलिस के लिए सिरदर्द, नहीं हुआ कातिल बेनकाब

सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक ललित मोहन पांडेय हत्याकांड में डेढ़ साल बाद भी नहीं मिला सुराग

Sandesh Wahak Digital Desk/Abhishek Srivastava: राम राम बैंक चौकी से कुछ दूरी पर स्थित एसबीआई कॉलोनी में रिटायर बैंक प्रबंधक ललित मोहन पांडेय (74) की हत्या किसने और क्यों की? इसका सवाल करीब डेढ़ साल बाद भी लखनऊ कमिश्नरेट के तेज तर्रार अफसर नहीं खोज पाए हैं। कोरोना से बचाव के लिए पहना जाने वाला मास्क लखनऊ पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हुआ। बात सुनने में थोड़ी अजीब लगती है, लेकिन पूरी तरह से सच है। मास्क के पीछे कैद कातिल को खोजने के लिए क्राइम ब्रांच, मडिय़ांव पुलिस, उत्तरी जोन को क्राइम टीम ने सारे प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब हत्याकांड की फाइल मडिय़ांव थाने में धूल फांक रही है।

मड़ियांव के राम राम बैंक चौकी से करीब तीन सौ मीटर दूर एसबीआई कालोनी में ललित मोहन पांडेय रहते थे। वे भारतीय स्टेट बैंक से वर्ष 2007 के मुख्य प्रबंधक के पर से सेवानिवृत हुए थे। परिवार में पत्नी प्रीति, बेटा नमित और बेटी मालविका हैं। नमित पुणे में नौकरी करता है, जबकि शादी के बाद मालविका लंदन में परिवार संग रहती है। जीवन के अंतिम पढ़ाव पर ललित यहां पत्नी संग रह रहे थे।

दस किमी. के भीतर खंगाले गए 100 सीसी कैमरे

पुलिस ने खुलासे के लिए कई टीमें बनाई। जिनकी मॉनिटरिंग डीसीपी उत्तरी खुद कर रहे थे। पड़ताल के दौरान सीसी कैमरों में संदिग्ध कैद मिला। पुलिस ने पत्नी प्रीति और करीबियों को संदिग्ध की फोटो दिखाई लेकिन कोई भी उसे पहचान नहीं सका। घर के पास मिली फुटेज को आधार बनकर आगे का रूट प्लान बनाकर टीमों ने पड़ताल शुरू की।

पुलिस ने अलग-अलग कैमरों को ट्रेस करना शुरू किया तो संदिग्ध कातिल कई कैमरों में दिखा। अंत में वह गुडम्बा स्थित इंटीग्रल विवि के पास तक नजर आया और फिर लापता हो गया। इंटीग्रल पहुंचते पहुंचते रात हो चुकी थी, जिसके चलते आगे की फुटेज साफ नहीं मिली। इस दौरान करीब 10 किलोमीटर के बीच 100 से अधिक सीसी कैमरों की फुटेज मिली, लेकिन संदिग्ध की पहचान नहीं हो सकी।

पड़ताल के दौरान घर से 50 हजार रुपए, कुछ जेवर और दो मोबाइल गायब मिले। देखने में लगा कि वारदात लूट के इरादे से की गई थी। लेकिन जिस ढंग से वारदात की गई, उससे वह पूर्व नियोजित लग रही थी।

वॉक पर गई थी पत्नी, घर में अकेले थे ललित

17 फरवरी का मनहूस दिन याद कर आज भी परिवारवालों की आंखें नम हो जाती हैं। रोज की तरह शाम को प्रीति टहलने और सब्जी लेने के लिए घर से निकली थी। इस दौरान ललित घर पर अकेले थे। करीब डेढ़ घंटे बाद प्रीति सब्जी लेकर घर आई। दरवाजा खोलकर अंदर गई तो अंदर पोर्टिको से लेकर कमरे तक खून फैला हुआ था। पति को आवाज देते हुए अंदर गई तो किचन के पास ललित का खून से लथपथ शव पड़ा था। यह देख वह चीख पडीं।

मिले खून से सने जूते के निशान, किया था संघर्ष

घटनास्थल पर ललित के संघर्ष के निशान साफ दिखाई दे रहे थे। तत्कालीन अधिकारियों के साथ-साथ फॉरेंसिक टीम ने काफी नमूने जुटाए। डॉग स्क्वायड की मदद ली गई। पड़ताल में पता चला कि कातिल ने चाकू से गोदकर ललित को मौत के घाट उतारा। यही नहीं ललित के भिडऩे पर उनकी दोनों हाथों के कलाई की नस काट दी थी। घटनास्थल पर पुलिस को खून लगे जूतों के  निशान कमरे से लेकर किचन और पोर्टिको तक मिले।

रास्ते में फेंकी हुडी, नहीं किया अपने वाहन का प्रयोग

ललित के घर से निकलते वक्तकातिल ने मास्क और हुडी पहनी थी। आगे की फुटेज में मास्क लगा रहा लेकिन हुडी गायब हो गई। उसके शरीर पर सिर्फ टी शर्ट थी। माना गया कि पहचान छिपाने के उद्देश्य से संदिग्ध ने हुडी कहीं फेंक दी। पुलिस ने फेंकी गई हुडी की खोजबीन की लेकिन नहीं मिली। हर फुटेज में आरोपी पैदल कैद मिला। आरोपी ने अपने वाहन का इस्तेमाल नहीं किया था।

सोशल मीडिया पर डाली गई फोटो, इनाम की घोषणा

उत्तरी जोन की पुलिस और क्राइम ब्रांच को कई महीनों बाद भी कातिल का कोई सुराग नहीं मिल रहा था। जिसके बाद पुलिस ने संदिग्ध की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। मीडिया के माध्यम से पुलिस ने कहा कि संदिग्ध की पहचान बताने वाले को 20 हजार का इनाम दिया जाएगा। इस घोषणा के बाद पुलिस को कुछ सूचनाएं मिली लेकिन सफलता नहीं मिली। पुलिस ने एक बार फिर इनाम की राशि 20 से बढ़ाकर 25 हजार की, लेकिन इस बार भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा।

मुखबिरों की ली मदद, सर्विलांस भी जुटी

ललित मोहन पांडेय हत्याकांड का खुलासा करने के लिए पुलिस ने अपने मुखबिरों को काम पर लगाया। सर्विलांस की भी मदद ली गई। पुलिस ने घटना के दौरान एक्टिव 35 मोबाइल नंबर को रडार पर लिया। सभी नंबरों की कॉल डिटेल और लोकेशन खंगाली गई। लेकिन इस बार भी पुलिस को निराशा ही मिली। ललित के घर से गायब दो मोबाइल को सर्विलांस पर लिया गया, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। मुखबिरों से कुछ संदिग्धों के बारे में कुछ इनपुट्स मिले। टीमों ने सुबह से लेकर रात तक सभी की कुंडली खंगाली लेकिन कुछ भी नहीं मिला। हर जगह पुलिस के लिए ब्लैक मास्क ही टेढ़ी खीर बना। देखने में लगा कि वारदात लूट के इरादे से की गई थी। लेकिन जिस ढंग से वारदात की गई, उससे वह पूर्व नियोजित लग रही थी।

ललित मोहन पांडेय हत्याकांड की फाइल अभी भी खुली है। कई संदिग्धों से पूछताछ हुई। ललित के घर में पहले रहने वाले कई किरायेदारों से भी सवाल जवाब किए गए थे। सोशल मीडिया से भी मदद ली गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। लगभग 100 सीसी फुटेज में संदिग्ध कातिल कैद तो हुआ, लेकिन ब्लैक मास्क ही उसके लिए मददगार बन गया। जांच से एक बात साफ है कि हत्या पूर्व नियोजित तरीके से की गई थी।

सैयद कासिम आब्दी, डीसीपी उत्तरी

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