UP Politics: कभी बसपा के खेवनहार रहे अब बने अखिलेश के विश्वासपात्र

बेंगलुरु में सपा प्रमुख के साथ नजर आये रामअचल राजभर और लालजी वर्मा

Sandesh Wahak Digital Desk : अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश की राजनीति जातिवाद के इर्दगिर्द घूमती नजर आ रही है। सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान के जाने के बाद सपा ने पूर्व मंत्री लालजी वर्मा और राम अचल राजभर के सहारे कुर्मी और राजभर मतदाताओं को साधने का प्लान तैयार किया है। दोनों ही नेता बेंगलुरु बैठक के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ नजर भी आये।

फिलहाल बाकी दलों की तर्ज पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सूबे की सियासत साधने के लिए जातीय समीकरणों को साधने में जुट गए हैं। सपा गठबंधन से ओमप्रकाश राजभर के अलग हो कर भाजपा के साथ जाने के बाद अब अखिलेश ने कभी बसपा के खेवनहार रहे इन दोनों प्रमुख रणनीतिकारों को अपना विश्वासपात्र बनाया है।

सपा अपने कुनबे को मजबूत करने में लगी

अखिलेश अब इन दो नेताओं को अनुप्रिया पटेल और ओमप्रकाश राजभर की काट के रूप में देख रहे हैं। सपा इनके सहारे कुर्मी व राजभर वोटों को साधने की फिराक में हैं। विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए जहां कांग्रेस सक्रिय है, वहीं सपा अपने कुनबे को मजबूत करने में लगी है।

ओमप्रकाश राजभर जब से भाजपा खेमे के साथ गए हैं तभी से यह माना जा रहा है कि पूर्वांचल की सियासत में भाजपा मजबूत होगी, लेकिन अखिलेश ने इसका विकल्प भी तलाश लिया है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बेंगलुरु में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में पूर्व मंत्री लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को शामिल करा कर यह संदेश दे दिया है कि कुर्मी और राजभर वोटों पर उनकी पैनी नजर है। अब इन दो जातियों के मतदाताओं को साधने में इनकी बड़ी भूमिका होगी।

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके लालजी वर्मा और राम अचल राजभर

पूर्व मंत्री लालजी वर्मा और राम अचल राजभर दोनों बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। एक दौर था जब बसपा सुप्रीमो इन दो नेताओं पर आंख मूंद कर भरोसा करती थीं।  ऐसा माना जाता है कि इन दोनों नेताओं ने बसपा प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पूरे प्रदेश में अपनी एक अलग टीम खड़ी कर ली थी और अपने-अपने जाति के वोटों पर इनकी अच्छी पकड़ है। अब यही दोनों नेता सपा के रणनीतिकार बन गए हैं।

लखनऊ की सड़कों पर अखिलेश का लालजी का हाथ पकड़ कर सड़क पर निकलना हो या फिर विपक्ष की बैठक में राहुल गांधी के साथ इन दो नेताओं की तस्वीर सामने आना यह इस बात का परिचायक है कि सपा की सियासत में इनका कद बढ़ रहा है।

वैसे भी पूर्वांचल में राजभर और कुर्मी मतदाताओं की बाहुल्यता है। अनुप्रिया पटेल और ओमप्रकाश राजभर भाजपा के साथ हैं। ओमप्रकाश द्वारा सपा गठबंधन छोडऩे के बाद से ही यह माना जा रहा था कि अखिलेश जल्द इनका विकल्प खोजेंगे। ऐसे में लालजी वर्मा और ओमप्रकाश राजभर का अपनी बिरादरी में जो सियासी कद है उससे सपा का फायदा हो सकता है।

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