New York: सुअर की किडनी को ब्रेन डेड मरीज के शरीर में किया ट्रांसप्लांट, रिजल्ट देख हैरान रह गए डाॅक्टर

Sandesh Wahak Digital Desk: न्यूयॉर्क में 14 जुलाई, 2023 को डॉक्टरों की एक टीम ने सुअर की किडनी का मानव शरीर में ट्रांसप्लांट किया था. वहीं, एक महीने बाद उसके रिजल्ट चौंकाने वाले आये हैं. दरअसल, डॉक्टरों ने एक सुअर की किडनी को एक ब्रेन डेड मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया था और ट्रांसप्लान के एक महीनें के बाद भी सुअर की किडनी मानव शरीर में सामान्य रूप से काम कर रही है. जिससे अब एक्सपर्ट का मानना है कि यह मानव रोग से लड़ने के लिए जानवरों के ऊतकों और अंगों का उपयोग करने की संभावना के करीब पहुंच गया.

न्यूयॉर्क में एनवाईयू लैंगोन हेल्थ के शोधकर्ताओं के अनुसार, 50 साल के एक व्यक्ति की किडनी में गंभीर चोट थी और बीमारी अंतिम चरण की थी. लेकिन, ट्रांसप्लांट के तुरंत बाद उसके अंगों ने मूत्र का उत्पादन किया. उन्होंने कहा कि ट्रांसप्लांट एक महीने से अधिक समय पहले किया गया था और किडनी अब भी काम कर रही है.

New York Pig Kidney

बता दें कि यह सफल ट्रांसप्लांट उन वैज्ञानिकों के लिए लेटेस्ट सफलता है, जो लगातार कमी से जूझ रहे मानव अंगों का विकल्प ढूंढने में लगे हैं. नेशनल किडनी फाउंडेशन के अनुसार, अमेरिका में लगभग 40 मिलियन लोगों को क्रोनिक किडनी रोग है और अंग ट्रांसप्लांट के इंतजार में हर दिन 17 लोग मर जाते हैं.

मेडिकल सेंटर के एक बयान के अनुसार, प्रायोगिक प्रक्रिया, जिसे ज़ेनोट्रांसप्लांट कहा जाता है ‘जीवन-घातक बीमारी का सामना कर रहे लोगों के लिए अंगों की वैकल्पिक आपूर्ति का संभावित रूप से उपयोग करने की दिशा में एक और बड़ा कदम है.’ मेजबान शरीर के लिए इसे अधिक स्वीकार्य बनाने के लिए सुअर के अंग में आनुवंशिक संशोधन किया गया.

New York Pig Kidney

NYU टीम का नेतृत्व करने वाले रॉबर्ट मॉन्टगोमरी ने कहा कि ‘ऐसा प्रतीत होता है कि सुअर की किडनी उन सभी महत्वपूर्ण कार्यों को प्रतिस्थापित कर देती है जिन्हें मानव किडनी प्रबंधित करती है.’

वहीं, लैंगोन के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष और इसके ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के निदेशक मोंटगोमरी ने कहा कि ‘अगर अंग दो महीने तक काम करता रहा, तो यह उस समय को पार कर जाएगा जब बंदरों में सबसे तुलनीय ज़ेनोट्रांसप्लांट विफल हो गए थे. यह बेहद जटिल है. लेकिन, आखिरकार हमें उन सभी लोगों के बारे में सोचना होगा जो मर रहे हैं क्योंकि हमारे पास पर्याप्त अंग नहीं हैं.’ उन्होंने कहा कि हम जीवित मनुष्यों के साथ प्रयोग करने के लिए सबूतों की प्रचुरता के करीब पहुंच रहे हैं.

 

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