Uttar Pradesh : मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन में दलालों और अफसरों की साठ-गांठ

यूपीएमएससीएल एमडी के पत्र से खुलासा, आदेश न मानने पर होगी अनुशासनिक कार्रवाई

संदेश वाहक डिजिटल डेस्क, मनीष श्रीवास्तव। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन में उन अफसरों की भरमार है। जिन्हें कमीशन के खातिर करोड़ों की दवाओं और उपकरणों के ठेकों में खेल करना कुछ अधिक ही पसंद है। तभी दवा माफियाओं और दलालों से ऐसे अफसर खुलेआम कार्पोरेशन के दफ्तर में मिल रहे हैं। कार्पोरेशन के अफसरों के इन कारनामों को एमडी ने न सिर्फ पकड़ा है बल्कि कार्रवाई की चेतावनी भी जारी की है।

15 अप्रैल को कार्पोरेशन के एमडी जगदीश की तरफ से सारे अफसरों और कर्मियों के लिए एक आदेश जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि कार्पोरेशन के सभी अनुभागों में वेंडर्स, लाइजनर्स, सप्लायर्स का प्रवेश वर्जित किया गया था। सक्षम स्तर से अनुमति के बिना कार्पोरेशन के अफसरों और कर्मियों को वेंडर्स अथवा फर्मों के प्रतिनिधियों से स्वयं भेंट न करने के निर्देश दिए गए थे।

 

पत्र के मुताबिक संज्ञान में आया है कि कतिपय अधिकारी और कर्मचारी इन आदेशों का अनुपालन न करते हुए वेंडरों, सप्लायर्स और लाइजनर्स से प्रत्यक्ष भेंट कर रहे हैं। जो बेहद आपत्तिजनक है। इसलिए बिना अनुमति के इन लोगों से कोई भेंट नहीं करेगा। अगर इस संबंध में कोई शिकायत मिली या भेंट की गयी तो कदाचार का दोषी मानते हुए प्रशासनिक कार्यवाही की जायेगी।

इससे पहले मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरशन के एमडी ने 28 जुलाई 2021, 6 अक्टूबर 2020, 11 फरवरी 2021, 7 अप्रैल 2022 और 20 अप्रैल 2022 को भी यही आदेश जारी किया था। दरअसल कार्पोरेशन में कुछ अफसर और कर्मी पूरी तरह दवा और उपकरण माफियाओं के दलालों की तरह काम कर रहे हैं। इनके कारनामों का पूरा कच्चा चिट्ठा एमडी को शिकायत के जरिये भेजा गया है।

फर्मों के भुगतान में भी कमीशन की चाहत, करोड़ों का बजट किया सरेंडर

मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन के ऊपर तमाम सप्लायर्स का करोड़ों का बकाया है। 31 मार्च तक इनका भुगतान वित्त इकाई के अफसरों ने नहीं किया। सूत्रों के मुताबिक भुगतान के एवज में भारी कमीशन की मांग हो रही है, जिसकी शिकायत एमडी तक पहुंची है। इस विषय पर एमडी जगदीश का पक्ष जानने के लिए फोन किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

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 बड़ी कंपनियों के दलाल बने अफसर, करोड़ों के ठेकों की राह कर रहे आसान

हाल ही में ‘संदेश वाहक’ ने खुलासा किया था कैसे एचआईवी और हेपेटाइटिस किटों की खरीद में करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया गया था। जिसकी जांच शासन की पहल  पर शुरू हुई है। कम्पनी से अफसरों की पूरी साठ-गांठ है। इसी तरह दो वर्ष पहले कार्पोरेशन के कतिपय अफसरों की मिलीभगत से करोड़ों की पीपीई किट, मास्क में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था। इस प्रकरण की एफआईआर भी हुई थी। कार्पोरेशन के अंदर एक अफसर ऐसा भी है। जो एक कंपनी का दलाल बनकर उसके लिए बड़े ठेकों की राह आसान कर रहा है। टेंडरों में मनमाफिक शर्तें डाली जा रही है। ये अफसर यूपीएमएससीएल में नौकरी से पहले एक अन्य राज्य के मेडिकल कार्पोरेशन से बर्खास्त हुआ था। 

तत्कालीन जीएम ड्रग आरके अग्रवाल
आरके अग्रवाल

 भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर जीएम ड्रग आरके अग्रवाल हुए थे बर्खास्त

मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन केअफसर निजी कंपनियों से सांठ-गांठ करके करोड़ों के ठेकों में सेंधमारी कर रहे हैं। इससे पहले पूर्व कारपोरेशन की पूर्व एमडी कंचन वर्मा ने जांच के बाद भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद तत्कालीन जीएम ड्रग आरके अग्रवाल को बर्खास्त किया था।

सूत्रों की मानें तो ये अफसर छत्तीसगढ़ में खाद्य औषधि प्रशासन विभाग में बड़े पद पर कार्यरत था, लेकिन सरकारी नौकरी छोड़कर यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन में संविदा पर नौकरी करना ज्यादा मुनासिब समझा। इस अफसर के कार्यकाल के दौरान कारपोरेशन में दवा ठेकों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों के संगीन आरोप लगे, लेकिन चंद बड़े अफसरों की छत्रछाया में होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। ऐसे गड़बड़ अफसरों की यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन में लंबी फेहरिस्त है।

करोड़ों के ठेकों में लूट करने के बाद आराम से नौकरी छोड़कर जा रहे अफसर

गैर प्रदेशों से आकर कारपोरेशन में अफसर करोड़ों के ठेकों में लूट करने के बाद आराम से नौकरी छोड़कर चले जाते हैं। उन्हें डर रहता है कि जांच में गर्दन फंसने पर पूरा खेल बेनकाब हो जाएगा। उदाहरण के तौर पर कोरोना में बड़े पैमाने पर उपकरणों में धांधलियों की कंलक कथा लिखने वाले तत्कालीन जीएम इक्युपमेंट (चिकित्सा उपकरण) अनिल बर्मन हैं । जिन्होंने कारपोरेशन से इस्तीफा दे दिया था। 

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