सम्पादक की कलम से : गड्ढा मुक्त सड़कों के दावों की हकीकत

Sandesh Wahak Digital Desk : यूपी सरकार के गड्ढा मुक्त सड़कों के दावों की हकीकत जमीन पर नहीं दिख रही है। लखनऊ समेत प्रदेश के अधिकांश शहरों की तमाम सड़कें न केवल जर्जर हैं बल्कि गड्ढों से भरी पड़ी हैं। ये गड्ढे बारिश में और भी खतरनाक हो गए हैं। लोग जलभराव के कारण इनको देख नहीं पाते हैं और इसमें गिरकर चोटिल हो जाते हैं। यही नहीं कई नई बनी सड़कें तक मानसून की पहली बारिश में उखड़ गयी हैं।

सवाल यह है कि :-

  1. पिछले छह सालों में प्रदेश सरकार गड्ढा मुक्त सड़कों के वादे को पूरा क्यों नहीं कर सकी है?
  2. संबंधित विभाग क्या कर रहा है?
  3. गड्ढों के कारण हो रहे हादसों के लिए कौन जवाबदेह है?
  4. आखिर सड़कों की मरम्मत के नाम पर हर साल जारी होने वाला भारी-भरकम बजट कहां खर्च किया जा रहा है?
  5. क्या ऐसे ही प्रदेश में स्मार्ट सिटी का सपना साकार हो पाएगा?
  6. क्या भ्रष्टाचार ने पूरे तंत्र को खोखला कर दिया है?
  7. मानकों का परीक्षण करने के बाद भी सड़कों की हालत लगातार क्यों बदतर हो रही है?

प्रदेश में कई सरकारें आईं और गईं लेकिन सड़कों की देखभाल का पुख्ता इंतजाम आज तक नहीं किया जा सका है। इसमें दो राय नहीं कि प्रदेश में सड़कों का लगातार विस्तार हो रहा है लेकिन देखरेख के अभाव में वे जर्जर हो रही हैं। मरम्मत के नाम पर पैच वर्क कर काम चलाया जा रहा है। इसके बाद भी सडक़ों पर गड्ढों की संख्या कम नहीं हो रही है। मसलन, राजधानी लखनऊ की तमाम सड़कें आज भी जर्जर हैं। इनमें जगह-जगह गड्ढे पड़ चुके हैं।

पुराने लखनऊ का हाल और भी बुरा

भ्रष्टाचार का आलम यह है कि नई बनी सड़क तक एक साल की अवधि पूरी नहीं कर पा रही है। सड़कों के मामले में पुराने लखनऊ का हाल और भी बुरा है। यहां हल्की बारिश में सड़कों पर पानी भर जाता है और वे उखड़ जाती हैं। इन गड्ढों के कारण हादसों की संख्या भी बढ़ी है। गड्ढों के कारण हुई मौतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी अपनी चिंता जता चुका है लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा।

कमीश्नखोरी के चलते नहीं पूरा हुआ गड्ढा मुक्त अभियान

हकीकत यह है कि ठेकेदार और संबंधित विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अधोमानक सड़कों के निर्माण का काम हो रहा है। ये अफसर बिना जांच ही सड़कों की गुणवत्ता को कागज पर सही बताकर पैसा जारी करा देते हैं। कमीशनखोरी की इस प्रवृत्ति के चलते ही सरकार सड़कों को गड्ढा मुक्त नहीं करा सकी है। जब लखनऊ में यह हाल है तो दूसरे जिले की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

साफ है यदि सरकार सड़कों को गड्ढा मुक्त कराना चाहती है तो उसे न केवल विभागीय भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना होगा बल्कि ऐसे लोगों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। साथ ही संबंधित विभाग की जवाबदेही तय करनी होगी। इसके अलावा सरकार को सड़क निर्माण के मानकों का कड़ाई से पालन भी सुनिश्चित करना होगा अन्यथा विकास का प्रतीक सड़कें और भी बदतर होती जाएंगी और स्मार्ट सिटी का सपना शायद ही कभी साकार हो सकेगा।

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