संपादक की कलम से: महंगाई पर चिंता

Sandesh Wahak Digital Desk : भारतीय रिजर्व बैंक ने भले ही लगातार चौथी बार नीतिगत रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा हो लेकिन महंगाई को लेकर उसकी चिंता अभी भी कायम है। रिजर्व बैंक ने साफ कर दिया है कि यदि महंगाई पर निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक नियंत्रण नहीं हुआ तो वह बॉन्ड बिक्री के जरिए बैंकों से अतिरिक्त नकदी निकाल सकता है।

सवाल यह है कि:-

  • लगातार कोशिशों के बावजूद केंद्रीय बैंक महंगाई पर नियंत्रण क्यों नहीं लगा पा रहा है?
  • क्या रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भी हालात बिगड़े हैं?
  • क्या केवल सब्जियों के दाम कम होने और गैस की सब्सिडी बढ़ा देने भर से महंगाई के मोर्चे पर लोगों को राहत मिल सकेगी?
  • क्या बढ़ती बेरोजगारी और घटती क्रय शक्ति ने लोगों की हालत खराब कर दी है?
  • क्या मांग और आपूर्ति में संतुलन स्थापित किए बिना हालात को काबू किया जा सकता है?
  • क्या सरकार को जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने की जरूरत नहीं महसूस हो रही है?

पिछले कई सालों से महंगाई की रफ्तार कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक ओर सरकारी आंकड़े कम होती महंगाई का दावा कर रहे हैं तो दूसरी ओर जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। महंगाई के कई कारण हैं। एक ओर कोरोना महामारी के दौरान लंबे लॉकडाउन ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को चौपट किया तो दूसरी ओर रूस-यूक्रेन युद्ध ने हालात को बदतर कर दिया है।

सरकार रोजगार के पर्याप्त साधन मुहैया नहीं करा पायी

अधिकांश देश महंगाई से जूझ रहे हैं। जहां तक भारत का सवाल है तो कोरोना के दौरान तमाम उद्योग धंधे बंद हो गए। लाखों लोगों के रोजी-रोजगार खत्म हो गए। इसके कारण बेरोजगारी का ग्राफ बढ़ा। इससे उनकी क्रय शक्ति कम हुई। इसके कारण बाजार में मांग-आपूर्ति का संतुलन बिगड़ गया। रही सही कसर औसत मानसून ने निकाल दी है। सरकार रोजगार के पर्याप्त साधन मुहैया नहीं करा पायी है। वहीं अन्न उत्पादन इस बार कम होने की आशंका जताई जा रही है।

यही वजह है कि भारत सरकार ने चावल व गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब केवल सरकार की मंजूरी के बाद ही विदेशों में इनका निर्यात किया जा सकता है। वहीं जमाखोरों ने कृत्रिम रूप से वस्तुओं का अभाव पैदा कर मनमानी दाम लोगों से वसूले। लिहाजा रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशें नाकाम हो गयीं। हालांकि सब्जियों के दाम कम होने और रसोई गैस की सब्सिडी बढ़ाने को लेकर बैंक महंगाई के कम होने की उम्मीद कर रहा है लेकिन यह दूर की कौड़ी है।

यदि फसल ठीक नहीं हुई तो महंगाई के और भी बढऩे की संभावना है। यदि सरकार वाकई महंगाई पर नियंत्रण लगाना चाहती है तो उसे न केवल जमाखोरों पर नियंत्रण लगाना होगा बल्कि जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमत भी निर्धारित करनी होगी। इसके अलावा रोजगार के साधनों को तेजी से विकसित करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो महंगाई पर नियंत्रण की सारी कोशिशें कवायद भर होंगी।

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