लखनऊ विश्वविद्यालय: पढ़ाते हैं बीएड, लेंगे स्नातकोत्तर की प्रैक्टिकल परीक्षा

संदेश वाहक डिजिटल डेस्क। लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए परीक्षकों की नियुक्ति में घालमेल सामने आया है। इसके लिए परीक्षा विभाग ने तय मानकों को ताक पर रख दिया है। मनमानी का अलाम यह है कि बीएड पढ़ाने वाले शिक्षक को एमए की प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए परीक्षक बना दिया गया है। जबकि बोर्ड ऑफ स्टडीज इसकी अनुमति नहीं देती है। इसको लेकर विश्वविद्यालय के शिक्षक ने उंगूली उठाई है। हालांकि परीक्षा नियंत्रक विद्यानंद त्रिपाठी इसमें कुछ भी गलत नहीं मानते हैं।

प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए हुए इस घालमेल का खुलासा लखनऊ विश्वविद्यालय के एक शिक्षक ने किया है। उन्हें इसका पता तब चला, जब परीक्षा विभाग ने उनकी जगह किसी और शिक्षक को प्रैक्टिकल के लिए परीक्षक बना दिया। जानकारी के अनुसार शिक्षक को सीतापुर के दयाशंकर पटेल महाविद्यालय में एमए एजुकेशन प्रथम सेमेस्टर की प्रैक्टिकल परीक्षा लेने के लिए कहा गया।

कुछ दिन बाद उनकी जगह सीतापुर के आचार्य नरेन्द्र देव ट्रेनिंग कॉलेज में बीएड पढ़ाने वाले शिक्षक डॉ.नितिन पांडे को परीक्षक बना दिया, जबकि उन्होंने परीक्षा लेने से मना भी नहीं किया। इसी दयाशंकर कॉलेज में एमए तृतीय सेमेस्टर की प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए भी बीएड पढ़ा रही शिक्षिका शिप्रा श्रीवास्तव को भेजा गया है।

ह सीतापुर की हिन्दू कन्या महाविद्याल में बीएड पढ़ाती हैं। शिक्षक के मुताबिक बीएड पढ़ाने वाले शिक्षक स्नातकोत्तर का प्रैक्टिकल नहीं ले सकते हैं।

एक्सटरनल परीक्षक में भी मनमानी

शिक्षा संकाय के शिक्षक का कहना है कि परीक्षा विभाग वाह्य परीक्षकों की नियुक्ति में भी मनमानी हो रही है। परीक्षा विभाग ने लविवि से सम्बद्ध एक कॉलेज में दूसरे कॉलेज के शिक्षक को वाह्य परीक्षक बना दिया है। ऐसा लखीमपुर के आदर्श जनता डिग्री कॉलेज में किया गया है। वहां पर बीएचयू की प्रो. अंजली बाजपेयी को हटाकर लखीमपुर के वाईडी पीजी कॉलेज के शिक्षक डॉ. मनोज मिश्रा को भेजा गया।

बोर्ड ऑफ स्टडीज की सूची से ही बना सकते हैं परीक्षक

उक्त शिक्षक सहित विश्वविद्यालय के जानकारों का कहना है कि परीक्षक का नाम और उसे कहां प्रैक्टिकल लेना यह सब कुछ बोर्ड ऑफ स्टडीज ही तय करती रही है, लेकिन इस बार परीक्षा समिति से प्रस्ताव पास कराया गया कि बोर्ड ऑफ स्टडीज केवल यह तय करेगा कि कौन शिक्षक किस कोर्स की परीक्षा लेगा। इसके बाद परीक्षा नियंत्रक कुलपति के अनुमोदन से परीक्षक के लिए स्कूल तय करेंगे। इसके बावजूद ऐसा नहीं हो रहा है। प्रस्ताव के अनुसार शिक्षा विभाग की बोर्ड ऑफ स्टडीज ने बीएड और एमए प्रैक्टिकल के लिए परीक्षकों के नामों की सूची भेज दी।

इसके बाद परीक्षा विभाग उस सूची को नहीं मान रहा। अपने मन से सूची से इतर परीक्षक के नाम तय कर रहा है। परीक्षा विभाग ने बीएड की सूची से एमए के परीक्षक बना दिए हैं, जबकि परीक्षा नियंत्रक  ऐसा नहीं कर सकते हैं। लखनऊ विश्वविद्याल परीक्षा नियंत्रक विद्यानंद तिवारी ने कहा कि परीक्षकों के नाम तय करने में कोई घालमेल नहीं हुआ है। सब कुछ एक्ट और कुलपति के अनुमोदन से ही किया जा रहा है। बीएड का शिक्षक एमए की प्रैक्टिकल परीक्षा ले सकता है।

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