लखनऊ नगर निगम: जलकल विभाग को लाखों के राजस्व की चपत

Sandesh Wahak Digital Desk: नगर निगम के जलकल विभाग को घोटालों से कुछ अधिक ही प्रेम है। इन घोटालों में फंसे अफसरों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से इनकी हिम्मत और बढ़ती है। बारी अब जोन सात की है। जहां बिलों को संशोधित करके लाखों के जलकर की चपत लगाने का खेल अंजाम दिया जा रहा है। इतने गंभीर प्रकरण में भी अभी तक जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा गया।

एक्सईएन के पत्र से खुलासा

पांच मार्च को जलकल विभाग के जोन सात के एक्सईएन अनिरुद्ध भारती ने कैशियर को एक पत्र भेजा। जिसके मुताबिक इस्माइलगंज द्वितीय वार्ड की हाउस आईडी 9157ई 27842 दुकान/मकान संख्या नंबर 631/न्यू 2 सीसी कमता फ़ैजाबाद रोड को 28 फरवरी को धनराशि 5 लाख 54 हजार 551 रुपये एआरवी रुपए 334060 की भवन स्वामी को जलकर/सीवरकर के मद में बकाया धनराशि जमा कराने के लिए नोटिस भेजी गयी थी।

जोन सात का कारनामा साढ़े पांच लाख था बिल जमा कराये सिर्फ 80 हजार

लेकिन कैश काउंटर पर उक्त भवन का सीवरकर 80 हजार 176 हजार जमा कराकर जलकर मद में धनराशि जीरो कर दी गयी। जिससे जलकल विभाग को चार लाख 74 हजार 375 रुपयों की राजस्व हानि हुई।  एक्सईएन ने कैशियर से पूछा कि किसके आदेश पर जलकर मद की धनराशि ज़ीरो की गयी और किसके द्वारा सीवरकर की धनराशि जमा कराई गयी।

इसके संबंध में छह मार्च तक आख्या मांगी थी। लेकिन तय समय सीमा के करीब एक हफ्ते के बाद भी अभी तक लाखों के जलकर फर्जीवाड़े पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। इस फर्जीवाड़े की तह में जाने पर जोनल एक्सईएन पर ही सवाल खड़े होने लगते हैं। माना जा रहा है कि राजस्व में इस तरह का घालमेल लम्बे समय से चल रहा है। जिसके चलते जलकल विभाग को भारी आर्थिक क्षति एक सिंडिकेट द्वारा पहुंचाई गयी है। जिसकी गहराई से जांच होनी चाहिए।

आख्या आने पर सीधे जीएम को दी जाएगी : भारती

जोन सात के एक्सईएन अनिरुद्ध भारती ने बताया कि अभी इस मामले में आख्या नहीं आयी है। आख्या मैं सीधे जीएम को दूंगा। जब उनसे पूछा गया कि छह मार्च तक आख्या आने का समय था तो उन्होंने कहा कि मार्च चल रहा, लोग वसूली में लगे हैं। इसलिए देर हो रही है।

कटघरे में तत्कालीन जोनल एक्सईएन रमेश चंद्रा

बिना जोनल एक्सईएन के ओटीपी दिए उनकी आईडी से लाखों के बिल को कम नहीं किया जा सकता है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक तत्कालीन जोनल एक्सईएन रमेश चंद्रा के कार्यकाल के दौरान इस फर्जीवाड़े की कलंक कथा लिखी गयी थी। विभागीय सूत्रों के मुताबिक जलकल जोन चार में तैनात आउटसोर्सिंग कर्मी आहत सिद्दीकी जमा कराई धनराशि 80 हजार 176 हजार की चेक लेकर आया था।

वहीं कैशियर के पटल पर बैठे दूसरे आउटसोर्सिंग कर्मी गौरव पांडेय ने आईडी से पैसा जमा किया था। जिसके बाद जलकल ज़ीरो किया गया। लेकिन सूत्रों की माने तो इन कर्मियों का ये भी कहना है कि मौके पर पानी का कोई कनेक्शन ही नहीं है। इसलिए सिर्फ सीवर कर की धनराशि जमा कराई गयी है।

जलकल विभाग का घोटालों से पुराना नाता

जलकल विभाग में घोटाले अक्सर होते हैं। गोमतीनगर के जोन चार में पहले जहां ठेकेदारों के दबाव में टेंडरों में फर्जीवाड़ा किया गया। वहीं बाद में कठौता झील में इंजीनियरों के इशारे पर लाखों का अवैध खनन हुआ। दोनों ही मामलों में कार्रवाई शून्य रही। तृतीय जलकल को पहले जहां चंद लाख खर्चा करके चलाया जाता था।

वहीं अब मेंटेनेंस समेत बाकी खर्चे दिखाकर सालाना कई गुना ज्यादा रकम चहेते ठेकेदार पर इंजीनियरों की साठगांठ से फूंकी जा रही है। नगर निगम के सदन में जलकल अफसरों के भ्रष्टाचार को लेकर कई बार हंगामा तक हुआ। लेकिन अभी तक शासन स्तर से भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी।

 

Also Read: UP Ayurveda Department: आयुष मंत्री के चहेतों की ठसक के आगे शासन नतमस्तक!

Get real time updates directly on you device, subscribe now.