संपादक की कलम से: जांच एजेंसियों पर हमले खतरे की घंटी

Sandesh Wahak Digital Desk: करोड़ों के राशन घोटाले की जांच को पश्चिम बंगाल पहुंची प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पर तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां के करीब दो हजार से अधिक समर्थकों ने न केवल हमला किया बल्कि उनकी गाडिय़ों में भी तोड़फोड़ की। इस अप्रत्याशित हमले से दो से अधिक अधिकारी घायल हो गए और जान बचाने के लिए ऑटो से जाने पर मजबूर हुए। तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां ममता सरकार के मंत्री और करोड़ों के राशन घोटाले से जुड़े राज्यमंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का खास है। शाहजहां के घर होने वाली छापेमारी राशन घोटाले से जुड़े अहम सुराग के लिए काफी अहम थी।

सवाल यह है कि :

  • पश्चिम बंगाल में लगातार जांच एजेंसियों की टीमों पर हमले क्यों किए जा रहे हैं?
  • क्या राज्य अराजकता की राह पर बढ़ चला है?
  • एजेंसियों पर हमले को केंद्र सरकार गंभीरता से क्यों नहीं ले रही है?
  • क्या सीमावर्ती राज्य में ऐसी अराजकता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक है?
  • क्या ये हमले ममता सरकार के इशारे पर किए जा रहे हैं या कानून व्यवस्था स्थापित करने वह पूरी तरह विफल हो चुकी है?
  • आखिर इन हमलों के पीछे कौन सी शक्तियां काम कर रही हैं?
  • सुरक्षा बलों की मौजूदगी में हमला करने की हिम्मत कहां से आ रही है?
  • क्या पश्चिम बंगाल में पानी सिर के ऊपर आ चुका है और विपक्ष की यहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग जायज है?

पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के आने के बाद से जांच एजेंसियों पर हमलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके पहले बंगाल में सीबीआई टीम को ममता की पुलिस ने न केवल घेर लिया था बल्कि एजेंसी के अधिकारियों को हिरासत में ले लिया था। तब खुद ममता बनर्जी पुलिस अफसरों के साथ सीबीआई के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया था।

ममता बनर्जी ने लगाया केंद्र पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप

सच यह है कि जैसे-जैसे ममता के मंत्रियों के घोटाले एक-एक कर सामने आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे एजेंसियों के खिलाफ इनके मंत्री और समर्थक आक्रामक होते जा रहे हैं। वहीं ममता बनर्जी केंद्र पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाती रहती हैं। हैरानी की बात यह है कि उनके मंत्री ईडी पर किए गए ताजा हमलों का बचाव कर रहे हैं और खुद ममता बनर्जी इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रही है। जहां तक पश्चिम बंगाल के कानून व्यवस्था का सवाल है, यह ममता सरकार में सबसे निचले पायदान पर पहुंच चुकी है।

पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव में जिस तरह की हिंसा पश्चिम बंगाल में होती है, वैसा किसी राज्य में नहीं दिखता। यह स्थितियां बेहद गंभीर हैं और सीमावर्ती राज्य होने के कारण ऐसी अराजकता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकती है। साफ है केंद्र सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना होगा ताकि वहां स्थितियां में सुधार हो सके। साथ ही यदि राज्य जांच एजेंसियों को सुरक्षा मुहैया कराने में असफल है तो केंद्र को टीम की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था करनी होगी अन्यथा स्थितियां बदतर हो जाएंगी।

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