संपादक की कलम से : कानून व्यवस्था की समीक्षा से आगे

Sandesh Wahak Digital Desk : प्रदेश में बढ़ रहे अपराधों के ग्राफ से राज्य सरकार न केवल चिंतित दिख रही है बल्कि कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई आदेश भी पारित कर रही है। हालात की समीक्षा भी की जा रही है। बावजूद स्थितियां सुधरने की जगह बिगड़ती जा रही हैं।

हत्या, लूटपाट के अलावा महिलाओं के प्रति अपराध तेजी से बढ़े हैं। रही सही कसर साइबर अपराधी निकाल रहे हैं। वे विभिन्न तरीकों से आम आदमी की जमापूंजी पलक झपकते उनके बैंक खाते से उड़ा देते हैं। वहीं पुलिस इस साइबर अपराधियों के सामने पूरी तरह बेबस नजर आ रही है। लिहाजा एक बार फिर राज्य सरकार ने एंटी रोमियो अभियान चलाने और हर जिले में साइबर थानों की स्थापना के निर्देश दिए हैं। साथ ही पुलिस के क्रिया-कलापों की समीक्षा करने का भी आदेश दिया है।

सवाल यह है कि :-

  • क्या सिर्फ कानून व्यवस्था की समीक्षा करने भर से राज्य अपराधों से मुक्त हो जाएगा?
  • क्या पर्याप्त पुलिस बल और संसाधनों की कमी को दूर किए बिना अपराधियों से निपटा जा सकेगा?
  • क्या अफसरशाही और पुलिसतंत्र में मजबूत इच्छाशक्ति के बिना प्रदेश में कानून का राज स्थापित हो सकेगा?
  • क्या भ्रष्टाचार ने पूरे तंत्र को बर्बाद कर दिया है?
  • ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बावजूद अपराधियों में खाकी का खौफ क्यों नहीं रह गया है?

हर राज्य में कानून व्यवस्था सबसे बड़ा प्रश्न होता है। इंटरनेट के बाद पूरे विश्व में कई किस्म के साइबर अपराध भी इस समस्या को बढ़ा चुके हैं। यूपी की स्थिति इससे अलग नहीं है। बड़ी आबादी वाले इस राज्य में आए दिन हत्या, लूटपाट, गैंगरेप जैसे जघन्य अपराध घटित होते रहते हैं। महिलाओं के प्रति अपराधों में तेजी से इजाफा हुआ है।

पुलिस की मौजूदगी में भी अपराध करने से बाज नहीं आ रहे अपराधी

साइबर क्राइम भी तेजी से बढ़ा है। यह स्थिति तब है जब सरकार ने अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी है। ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए जाने के बाद भी हालात सुधर नहीं रहे हैं। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे पुलिस की मौजूदगी में भी अपराध करने से बाज नहीं आ रहे हैं। छेड़छाड़ की घटनाएं फिर बढ़ गयी हैं। हालांकि संगठित अपराधों का ग्राफ कम हुआ है।

साफ है, कानून के रक्षकों यानी पुलिस तंत्र की लापरवाही और अपराधों पर अंकुश लगाने की मजबूत इच्छाशक्ति का अभाव इसकी सबसे बड़ी वजह है। यही नहीं कई बार पुलिस और अपराधियों का गठजोड़ भी सामने आ चुका है। ऐसे में केवल समीक्षा बैठकों से काम नहीं चलने वाला है। सरकार यदि अपराधों को कम करना चाहती है।

तो उसे न केवल पुलिस व्यवस्था में आमूल परिवर्तन करना होगा बल्कि जिम्मेदारों को यह संदेश भी देना होगा कि यदि हालात सुधरे नहीं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के साथ पुलिस को पर्याप्त मानव संसाधन उपलब्ध करना व अपराधियों से निपटने के आधुनिक तौर-तरीकों से प्रशिक्षित भी करना होगा अन्यथा समीक्षा बैठकें केवल कागजों तक ही सिमट जाएंगी।

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