संपादक की कलम से: हाईकोर्ट की चिंता

Sandesh Wahak Digital Desk : यूपी में तेजाब की खुली बिक्री पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न केवल चिंता जताई है बल्कि प्रदेश सरकार से इस मामले पर की गई कार्रवाई और पांच साल में हुए ऐसे हमलों का विस्तृत ब्योरा भी तलब किया है। यही नहीं अदालत ने तेजाब पीडि़ताओं को मुआवजा दिया गया या नहीं, इसकी जानकारी भी मांगी है।

सवाल यह है कि :

  • रोक के बावजूद पूरे प्रदेश में तेजाब की खुली बिक्री क्यों हो रही है?
  • कोई भी व्यक्ति आसानी से दुकानों से तेजाब कैसे खरीद लेता है?
  • तेजाब से होने वाले हमलों को रोकने को लेकर प्रदेश सरकार ने व्यापक रणनीति क्यों नहीं बनाई है?
  • तेजाबी हमलों की शिकार पीड़िताओं के इलाज और पुनर्वास की कोई ठोस योजना अभी तक क्यों नहीं तैयार की गयी?
  • सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन क्यों नहीं सुनिश्चित किया जा रहा है?
  • क्या लोगों की जान से खिलवाड़ करने की छूट दी जा सकती है?
  • कोर्ट के हस्तक्षेप के बिना जनहित के मुद्दों पर सरकार कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाती है?

केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं देश भर में तेजाब की बिक्री खुलेआम की जा रही है। दुकानदार इसकी बिक्री के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित गाइडलाइंस का पालन नहीं करते हैं। वे ग्राहकों के नाम-पते तक नहीं नोट करते हैं, न ही उनका आधार कार्ड चेक करते हैं। इसका फायदा आपराधिक प्रवृत्ति के लोग करते हैं। तेजाबी हमले का शिकार अधिकांशत: युवतियां हो रही हैं।

इसके कारण न केवल उनका जीवन अंधकारमय हो जाता है बल्कि समाज भी उनसे दूरी बना लेता है। इसके कारण उनका जीवन संकटों से घिर जाता है। हालांकि कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं और सरकार इनके लिए कुछ सहायता उपलब्ध कराती हैं लेकिन यह नाकाफी साबित होता है। यही नहीं सरकार तेजाब पीडि़तों के पुनर्वास पर कोई खास ध्यान नहीं देती है।

मुकदमों में ज्यादा समय लगने से अपराधी बेखौफ

यही नहीं मुकदमे लंबे चलते हैं, इसके कारण अपराधी बेखौफ होकर समाज में घूमता रहता है। जहां तक मुआवजे का हाल है वह भी पीड़िताओं की मदद के लिए नाकाफी होता है। यह स्थिति तब है जब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से इसकी गाइडलाइंस तय कर दी है लेकिन प्रशासनिक तंत्र इस मामले में घोर लापरवाही बरत रहा है।

यदि नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए तो स्थितियों में बदलाव आ सकता है और किसी भी आपराधिक तत्व तक तेजाब आसानी से नहीं पहुंच सकेगा। प्रशासनिक तंत्र की ढिलाई का फायदा दुकानदार उठाते हैं और किसी को भी तेजाब उपलब्ध करा देते हैं।

अब जब हाईकोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाया है तो शायद स्थितियों में बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि यह स्थितियां तभी ठीक होगी जब सरकार तेजाब की खुली बिक्री को लेकर मजबूत इच्छाशक्ति दिखाएगी। सरकार को चाहिए कि वह तत्काल सुप्रीम कोर्ट के बनाए नियमों को पालन सुनिश्चित कराए और तेजाब पीड़िताओं के पुनर्वास के लिए ठोस योजना बनाकर उसका पालन कराए।

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