संपादक की कलम से: शहर की सरकार से उम्मीद

यूपी में निकाय चुनाव संपन्न हो चुके हैं, परिणाम भी आ गए हैं, अब शहर की सरकार के गठन की बारी है।

Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी में निकाय चुनाव संपन्न हो चुके हैं, परिणाम भी आ गए हैं, अब शहर की सरकार के गठन की बारी है। आज नगर निगमों के महापौरों व नगरपालिकाओं के अध्यक्षों व सदस्यों के शपथ ग्रहण के साथ इसका आगाज भी हो जाएगा। इसके साथ शहर की सरकार से लोगों की उम्मीदें बढ़ जाएंगी।

सवाल यह है कि…

  • क्या नई सरकार लोगों की उम्मीदों को पंख लगा सकेगी?
  • क्या शहरवासियों को बुनियादी सुविधाएं मिल सकेंगी?
  • क्या सत्ता और विपक्ष मिलकर शहर को चमकाने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं?
  • क्या लापरवाही और बदइंतजामी पर रोक लग सकेगी?
  • क्या स्मार्ट सिटी की कल्पना साकार हो सकेगी?
  • क्या ये संस्थाएं टैक्स वसूलने के अलावा अन्य कर्तव्यों पर ध्यान देंगी?
  • क्या सियासत का अखाड़ा बन चुके नगर निगमों और नगरपालिकाओं की तस्वीरें बदली दिखेंगी?

साल-दर-साल पिछड़ते चले गए शहर

शहरवासियों की बेहतर सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए नगर निगमों और नगरपालिकाओं का न केवल गठन किया गया बल्कि इसकी बागडोर स्थानीय लोगों द्वारा चुनी गई सरकारों के हाथ में सौंपने की व्यवस्था भी की गई लेकिन शहर साल-दर-साल पिछड़ते चले गए। मसलन, राजधानी लखनऊ को देखे तो शहर की सरकार की हकीकत उजागर हो जाएगी। आज भी अधिकांश शहरवासी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं। नगर निगम की सीमाएं जरूर बढ़ा दी गयीं लेकिन वहां की हालत आज भी बदतर बनी हुई है। गंदगी, जाम, जर्जर सडक़ें, दूषित पेयजल, प्रदूषण और अतिक्रमण शहर की पहचान बन चुके हैं। यह स्थिति तब है जब हर वर्ष शहर को सुंदर बनाने और शहरवासियों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भारी भरकम बजट पास किया जाता है। स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपये कहां खर्च हो रहे हैं, इसका पता नहीं है।

चुनावी दावे और वादे हो जातें हैं हवा

भ्रष्टाचार व लापरवाही ने पूरे शहर को अस्त-व्यस्त कर दिया है। सडक़ों पर रोजाना आवारा पशुओं से लोगों का आमना-सामना हो रहा है। शिकायतों पर कार्रवाई सिफर है। पता ही नहीं चलता कि शहर में चुनी सरकार है या केवल अफसरशाही अपना शासन चला रही है। चुनाव के समय किए गए बड़े-बड़े दावे हवा में उड़ा दिए जाते हैं। यह ढर्रा वर्षों से एक परंपरा की तरह चला आ रहा है।

जब प्रदेश की राजधानी में यह हाल है तो अन्य शहरों के बारे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। बावजूद इसके शहरवासी अपनी शहर की सरकार से कुछ बेहतर की उम्मीद लगाए हुए हैं।

आने वाले वक्त तय करेगा नई सरकार कितनी कारगर है

वहीं, शहरवासियों को उम्मीद है कि उन्होंने जिनको अपना प्रतिनिधि बनाकर निगमों और नगरपालिकाओं में भेजा है, वे स्थानीय समस्याओं का समाधान कराएंगे। सीएम योगी भी महापौरों से मुलाकात के दौरान ऐसी उम्मीद जता चुके हैं। ऐसे में आशा की जा सकती है कि आने वाले दिनों में शहर को दुरुस्त करने की पहल की हो सकती है। शहरवासियों को विकास के कुछ काम होते दिख सकते हैं। अब तो वक्त ही बताएगा कि नयी सरकार, पुरानी से कितनी अलग और उपयोगी है।

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