मिशन 2024 : जातीय जनगणना की मांग बढ़ाएगी भाजपा की टेंशन

सहयोगी दलों को सीटों पर राजी करना भगवा पार्टी के लिए साबित होगा टेढ़ी खीर

Sandesh Wahak Digital Desk : हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हुकूमत कायम होने के बाद अब शीर्ष नेतृत्व ने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश की ओर पूरी तरह नजरें टिका दी हैं। खासतौर पर सीटों को लेकर जिस प्रकार से विपक्ष के इण्डिया गठबंधन में मनमुटाव हुआ था।

उससे सबक लेते हुए भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अभी से कवायद शुरू करने जा रही है। लेकिन सहयोगी दलों का जातीय जनगणना को लेकर भाजपा से मांग करना भगवा पार्टी का सरदर्द बढ़ाने के लिए काफी है। उत्तर प्रदेश में सहयोगी दलों के लिए सीटों पर मंथन शुरू करते हुए दिल्ली में बैठक कर जल्द सियासी तानाबाना बना जाएगा।

जातीय जनगणना के पक्ष में भाजपा के सहयोगी दल अपनी आवाज़ लगातार बुलंद कर रहे

दरअसल सियासी समीकरण और विपक्षी गठबंधन की रणनीति को देखते हुए भाजपा का पिछड़े एवं दलित वोटो बैंक को साधने पर खास फोकस है। हालांकि जातीय जनगणना के पक्ष में भाजपा के सहयोगी दल अपनी आवाज़ लगातार बुलंद कर रहे हैं। इसमें निषाद पार्टी, सुभासपा से लेकर अपना दल तक शामिल है। जिसको देखते हुए इस मुद्दे पर जल्द फाइनल निर्णय करना भाजपा की मज़बूरी है।

मतगणना हो या जातीय जनगणना, दोनों बेहद जरुरी

वहीं डिप्टी सीएम केशव मौर्य भी सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि मतगणना हो या जातीय जनगणना, दोनों बेहद जरुरी है। इससे संकेत मिले थे कि जातीय जनगणना को लेकर भाजपा के अंदर सुगबुगाहट तेजी से जारी है। हालांकि चुनावी राज्यों में सपा का पीडीए हथियार और जातीय जनगणना की मांग का दांव चारों खाने चित्त जरूर हो गया है। लेकिन ये मुद्दा भाजपा के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है। ओबीसी नेता इसके पक्ष में लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

भाजपा के सहयोगी दल भी शीर्ष नेतृत्व पर इसको लेकर दबाव बनाने की फिराक में हैं। सहयोगी दलों को सीटों पर राजी करने के लिए उनकी मांगे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए गले की फांस बन सकती है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली में होने वाली बैठक में सहयोगी दलों के कोटे की सीटों का नाम तो तय किया जाएगा, लेकिन इसकी घोषणा बाद में होने की उम्मीद है। सहयोगी दलों को सीटों के मुद्दे पर मनाना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित होना तय है।

सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे

मिशन 2024 के वास्ते भाजपा के अंदर बाहुबलियों और दबंगों को टिकट मिलने में आनाकानी देख परदे के पीछे से सहयोगी दलों को आगे खड़ा करने की सियासी रणनीति बनाई गयी है। माफिया बृजेश सिंह को सुभासपा के निशान पर गाजीपुर से आज़माने का प्लान इसी कड़ी का हिस्सा है।

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