UP : कैंसर संस्थान में साल भर से 62 डॉक्टरों की भर्तियां लटकीं

केजीएमयू और पीजीआई तक इलाज के लिए दौड़ लगा रहे मरीज

Sandesh Wahak Digital Desk : असाध्य रोगों के इलाज को लेकर मुख्यमंत्री योगी बेहद सख्त हैं। इसके बावजूद कैंसर को लेकर हीलाहवाली बरती जा रही है। साक्षात उदाहरण कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान है। जहां साल भर से 62 डॉक्टरों की नियुक्तियां लटकी हैं। संस्थान के जिम्मेदारों के मुताबिक शासन के कारण भर्तियां ठन्डे बस्ते में हैं।

कैंसर संस्थान के प्रशासन ने एक बार डॉक्टरों की भर्ती का विज्ञापन निकाला था। लेकिन शासन ने उस पर रोक लगा दी। संस्थान के जिम्मेदारों ने एक साल पहले 250 बेड पर मरीजों की भर्ती शुरू करने का दावा किया था, लेकिन डॉक्टर न होने से नए बेड भी नहीं शुरू हो पाए हैं। इसका खामियाजा बच्चों तक को भुगतना पड़ रहा है। कैंसर पीडि़त बच्चों को इलाज के लिए पीजीआई से लेकर केजीएमयू तक दौड़ लगानी पड़ रही है।

संस्थान में पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजिस्ट न होने से बच्चों को पीजीआई व केजीएमयू रेफर किया जा रहा है। कैंसर संस्थान की ओपीडी में रोजाना 100 से अधिक मरीज आ रहे हैं। सबसे अधिक मरीजों का दबाव रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में हैं। यहां नियमित मरीजों की सिंकाई हो रही है।

इसके अलावा ऑपरेशन बहुत कम हो रहे हैं। कैंसर संस्थान के सीएमएस डॉ अनुपम वर्मा के मुताबिक जल्द ही डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जायेगी। जिसके बाद कैंसर के इलाज के लिए किसी को रेफर नहीं किया जाएगा। उन्होंने शासन से जुड़े मुद्दे पर कुछ भी कहने से मना कर दिया।

आंकड़ों में कैंसर के मरीजों की स्थिति

आकड़ों पर गौर करें तो कैंसर का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यूपी में हर साल कैंसर से करीब 50 हजार से ज्यादा मौत हो रही हैं। 50 से 60 फीसदी मरीज देरी से अस्पताल आ रहे हैं। ऐसे में इलाज कठिन हो जाता है। केजीएमयू रेडियोथेरेपी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एमएलबी भट्ट का कहना है कि हर साल यूपी में करीब 80 हजार लोग कैंसर की जद में आ रहे हैं। जबकि दो से ढाई लाख कैंसर पीड़ित पुराने होते हैं। कुल मिलाकर एक वक्त में साढ़े तीन से चार लाख कैंसर मरीज होते हैं। करीब 70 फीसदी कैंसर जीभ, मुंह, गले, अमाशय, फेफड़े, खाने व सांस की नली के होते हैं।

इनमें 80 फीसदी मरीज तम्बाकू व सिगरेट के लती होते हैं। करीब 10 प्रतिशत परोक्ष रूप से धूम्रपान करने वालों के संपर्क में होते हैं। जिससे उन्हें घातक बीमारी मिलती है। आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में हर साल कैंसर से 50 हजार मौतें होती हैं। 2016 में कैंसर के 2 लाख 45 हजार 231 मामले सामने आए थे। 2017 में यह आंकड़ा बढक़र 2 लाख 57 हजार 353 पहुंच गया। 2018 में कैंसर के मामले बढक़र 2 लाख 70 हजार 53 हो गए। 2022 में कैंसर मरीजों की संख्या करीब तीन लाख पहुंच गई। कोरोना काल में 2019 से 2021 की रिपोर्ट तैयार नहीं की गई।

काबू में आ सकता है कैंसर

चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में रेडियोथेरेपी विभाग के अध्यक्ष डॉ. शरद सिंह का कहना है कि कैंसर को 80 से 90 फीसदी तक रोका जा सकता है। तम्बाकू व सिगरेट से तौबा कर कैंसर के खतरों से बच सकते हैं। शराब का सेवन न करें। पौष्टिक भोजन लें। नियमित कसरत करें। प्रदूषण से बचें।

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