UP Politics: जातीय जनगणना नहीं भाजपा को लुभा रहा हिंदुत्व का एजेंडा

Lok Sabha Election 2024: यूपी में जातीय जनगणना का मुद्दा उतना प्रभावी होता नजर नहीं आ रहा है। मिशन 2024 के खातिर विपक्ष ने इसे बिहार के बाद यूपी में भी उठाना शुरू किया है। परदे के पीछे से यूपी सरकार के सहयोगी दल भी इसका भले समर्थन कर रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री योगी ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।

भाजपा मिशन 2024 के लिए अगले वर्ष हिंदुत्व के एजेंडे को ज्यादा तवज्जो दे रही है। प्रधानमंत्री द्वारा राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में माहौल भाजपा के पक्ष में जाना तय है। हालांकि भाजपा नेतृत्व यूपी में पिछड़ों और दलितों को जरूर अपने खेमे में करने के लिए लामबंदी में जुटी है।

लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह बनाएगा माहौल

सत्ता पर विराजमान भाजपा ने एक तरह से मानो मंडल के ऊपर कमंडल को पूरी तरह से स्थापित कर दिया है। समाजवादी पार्टी के जाति आधारित जनगणना कार्ड का लक्ष्य अंकगणित को 85 बनाम 15 में बदलना है, जिसमें 85 ओबीसी और दलित हैं और 15 उच्च जातियां हैं। हालांकि सीएम योगी ने यह कहकर इसका प्रतिकार किया है कि 2024 का चुनाव (Lok Sabha Election 2024) 80 बनाम 20 होगा, जिसमें 80 हिंदू होंगे और 20 अल्पसंख्यक होंगे और मौजूदा परिस्थितियों में यह फॉर्मूला जाति कार्ड से अधिक शक्तिशाली लगता है।

समाजवादी पार्टी ने भी महसूस किया है कि (2024 Lok Sabha Election 2024) में भाजपा में सेंध लगाना लगभग असंभव कार्य होगा, क्योंकि तब तक राम मंदिर तैयार हो जाएगा और भाजपा का हिंदू मुद्दा पहले की तरह मजबूत हो जाएगा।

सिर्फ पिछड़े और दलितों पर पार्टी का मुख्य फोकस

भाजपा और संघ परिवार के सदस्य पहले से ही जनवरी 2024 में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए बड़े पैमाने पर तैयारी की योजना बना रहे हैं। विशेष ट्रेनें सभी राज्यों से भक्तों को लाएंगी, विशेष यात्राएं देश भर में फैलेंगी और राम मंदिर के उद्घाटन की घोषणा के लिए कई अभियान चलाए जाएंगे। दरअसल, आयोजन दिवाली की पूर्व संध्या से शुरू होंगे।

इस बार सरयू नदी के तट पर 21 लाख मिट्टी के दीपक जलाए जाएंगे। गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ की हत्या और उसके बेटे असद के एनकाउंटर ने उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक आधार पर माहौल को बेहद गर्म कर दिया है। आजम खां और उनके परिवार तथा मुख्तार अंसारी के कुनबे के खिलाफ चल रही कार्रवाई इसी दिशा में एक और कदम है।

फिलहाल विपक्षी दलों ने एक समुदाय के खिलाफ इस हमले को उजागर करने से परहेज किया है क्योंकि जाहिर तौर पर, वे हिंदू समर्थन खोना नहीं चाहते हैं। इस बीच, राज्य भर में मंदिरों के जीर्णोद्धार के एक बड़े अभियान ने भी राज्य सरकार की ‘हिंदू सरकार’ के रूप में छवि को मजबूत किया है।

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