उत्तरकाशी सुरंग हादसा: तो 41 नहीं 400 लोग टनल में फंसे होते ?

उत्तरकाशी टनल हादसा: उत्तराखंड के सिलक्यारा में सुरंग में फंसे मजदूरों को 8 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक निकाला नहीं जा सका है। सुरंग के एक हिस्से के ढहने के बाद हुए हादसे में 41 मजदूर अंदर ही फंसे हुए हैं। युद्धस्तर पर चल रहे बचाव कार्य पर प्रधानमंत्री कार्यालय तक की तरफ से सीधी नजर बनी हुई है।

हालांकि हादसे वाले दिन अंदर फंसे मजदूरों की संख्या काफी अधिक हो सकती थी। नई जानकारी के अनुसार ठीक एक दिन पहले तक वहां 400 से अधिक मजदूर काम कर रहे थे। उत्तरकाशी में मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि उम्मीद है कि बीआरओ द्वारा बनाया जा रहा रास्ता दोपहर तक तैयार हो जाएगा।

ऐसा होने से सुरंग के ऊपर चिह्नित बिंदु तक मशीनें पहुंचाने के बाद ‘लंबवत ड्रिलिंग’ शुरू की जा सकेगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सिलक्यारा सुरंग परियोजना में 400 से अधिक मजदूर कार्यरत थे, जो दीपावली मनाने के लिए घर गए थे।

दीपावली की वजह से स्थानीय लोग अपने घर गए

60 साल की उम्र के प्रेमलाल ने जानकारी देते हुए बताया कि यहां काम कर रहे अधिकतर श्रमिक स्थानीय इलाकों के रहने वाले हैं। दीपावली का दिन होने की वजह से सभी स्थानीय लोग अपने घर की तरफ चले गए। अधिकतर वे मजदूर सुरंग के अंदर फंसे रह गए। जो बाहर के राज्यों से यहां काम करने आए।

अगर त्योहार वाला दिन नहीं होता तो इस समय 400 से अधिक लोग जिंदगी की जंग लड़ रहे होते। उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने के 8वें दिन रविवार को उसमें फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने की कवायद में तेजी आई है।

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सुरंग के ऊपर से ‘लंबवत ड्रिलिंग’ शुरू करने के लिए रास्ता बनाने में जुटा है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुंरग के एक हिस्से के ढहने से पिछले 7 दिनों से फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए ‘लंबवत ड्रिलिंग’ के विकल्प पर शनिवार शाम से काम शुरू किया गया।

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