सम्पादक की कलम से : कोरोना की रफ्तार खतरे की घंटी

Sandesh Wahak Digital Desk : कोरोना के सब वैरिएंट जेएन-1 के बीच वायरस की बढ़ती रफ्तार ने चिंता बढ़ा दी है। देश में चौबीस घंटे के बीच 797 नए केस मिले हैं जबकि पांच लोग संक्रमण की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं कोरोना का सब वैरिएंट जेएन-1 नौ राज्यों में फैल चुका है और अब तक इसकी चपेट में 157 लोग आ चुके हैं। चीन व अन्य देशों में जिस तरह इसका प्रसार बढ़ रहा है, उसने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

सवाल यह है कि क्या :

  • देश में कोरोना की एक नयी लहर दस्तक देने वाली है?
  •  केंद्र सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों के बावजूद प्रभावित और अन्य राज्य सरकारें कोरोना गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित क्यों नहीं कर रही हैं?
  • केरल में बिगड़ते हालात को काबू करने में राज्य सरकार नाकाम क्यों है?
  • क्या नए साल में मनाए जाने वाले जश्न को देखते हुए इसकी रफ्तार के और बढऩे की आशंका है?
  • क्या सर्दियों का मौसम वायरस के लिए मुफीद साबित होगा?
  • आम आदमी को जागरूक करने की कोशिशें राज्य सरकारें क्यों नहीं कर रही हैं?
  • क्या देश की चिकित्सा व्यवस्था वायरस से निपटने के लिए पर्याप्त है?

पिछले तीन सालों से पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रहा है। चीन के वुहान शहर से निकले इस वायरस ने भारत को भी प्रभावित किया है। अब नए सब वैरिएंट जेएन-1 के प्रसार से खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस नए सब वैरिएंट को लेकर दुनिया को चेताया है और सावधानी बरतने की सलाह दी है।

विशेषज्ञों ने नए वैरिएंट को खतरनाक नहीं बताया

भारत सरकार ने भी राज्यों को गाइडलाइन जारी करने के निर्देश दिए हैं। बावजूद इसके सतह पर प्रभावित राज्यों में भी इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। लोग सामान्य तौर पर मास्क तक नहीं लगा रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञों ने नए वैरिएंट को खतरनाक नहीं बताया है लेकिन सावधानी बरतने की हिदायत दी है। जिस तरह कोरोना की रफ्तार बढ़ रही है, वह लापरवाही का ही नतीजा है।

हैरानी की बात यह है कि राज्य सरकारें भी इसको लेकर गंभीर नहीं दिख रही हैं। साफ है यह लापरवाही भारी भी पड़ सकती है। यदि स्थितियां पूर्व की तरह हुईं तो देश की अर्थव्यवस्था पर असर डालेंगी। इससे न सिर्फ बेरोजगारी और महंगाई बढ़ेगी बल्कि राजकोष पर अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा। यही नहीं देश की स्वास्थ्य सेवाएं अभी इतनी पर्याप्त नहीं है कि कोरोना के एक और लहर को संभाल सकेंगी।

हालांकि अधिकांश लोगों के कोरोना टीकाकरण को देखते हुए विशेषज्ञों ने इसके घातक होने से इंकार किया है बावजूद इसके सावधानी बरतने की जरूरत है अन्यथा एक-दूसरे से फैलने वाला यह वायरस देश के सामने नयी समस्या पैदा कर सकता है। सरकार को चाहिए कि वह इस पर अभी से काबू पाने का प्रयास तेज कर दे ताकि इसकी रफ्तार पर ब्रेक लगाया जा सकें। इसके अलावा आम जनमानस को भी इसके मद्देनजर सावधानी बरतनी होगी।

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