संपादक की कलम से: परीक्षा की शुचिता पर सवाल

Sandesh Wahak Digital Desk : यूपी सिपाही भर्ती परीक्षा पर लगे पेपर लीक के आरोपों और अभ्यर्थियों द्वारा सरकार को सौंपे गए प्रमाणों को देखते हुए परीक्षा को रद्द करने की घोषणा की गई है। सरकार ने यह भी ऐलान किया है कि यह परीक्षा छह माह बाद करायी जाएगी।

सवाल यह है कि :

  • उत्तर प्रदेश में हो रही कई भर्ती परीक्षाओं में धांधली कैसे हो रही है?
  • तमाम कोशिशों के बावजूद नकल माफिया सेंधमारी में सफल कैसे हो रहे हैं?
  • परीक्षाओं में पारदर्शिता को तार-तार करने के जिम्मेदार कौन-कौन हैं?
  • क्या परीक्षाओं में धांधली के कारण सरकार और परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं की साख पर दाग नहीं लग रहा है?
  • क्यों फुल प्रूफ परीक्षा आयोजित करने में प्रशासनिक अमला असफल हो रहा है?
  • नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों के हौसले बुलंद क्यों हैं?
  • क्या बिना सरकारी कर्मियों की मिलीभगत के इस प्रकार की धांधली संभव है?
  • क्या परीक्षाओं को बार-बार रद्द कर दोबारा इसे आयोजित करने से सरकार के खजाने पर बोझ नहीं बढ़ेगा?
  • आखिर इस समस्या का समाधान आजतक क्यों नहीं निकाला जा सका है?

उत्तर प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं में धांधली गंभीर चिंता का विषय है। इस प्रकार की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद हालात सुधर नहीं रहे हैं। सिपाही भर्ती के 60,244 पदों पर नियुक्ति के लिए कुल 48,17,441 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। इसमें 15,48,969 महिला अभ्यर्थी भी शामिल थीं। परीक्षा देने के दौरान ही पेपर लीक की आशंका जताई गयी। इस मामले की जांच के लिए सरकार ने आतंरिक कमेटी स्थापित की।

दोबारा परीक्षा कराने की मांग को लेकर प्रदेश भर में प्रदर्शन

वहीं अभ्यर्थियों ने दोबारा परीक्षा कराने की मांग को लेकर प्रदेश भर में प्रदर्शन शुरू कर दिया। विपक्ष ने भी पेपर लीक के आरोपों को लेकर सरकार पर चौतरफा सवाल उठाए। लिहाजा अब सरकार ने इस परीक्षा को रद्द कर दिया है। इसके पहले आरओ-एआरओ परीक्षा में पारदर्शिता नहीं अपनाए जाने की शिकायत भी सामने आई थी। इस मामले पर भी जांच की जा रही है।

दरअसल, प्रदेश में नकल का पूरा धंधा चल रहा है। नकल माफिया का पूरा नेटवर्क संचालित है। यह नेटवर्क बोर्ड से लेकर भर्ती परीक्षाएं पास कराने का ठेका लेता है और इसके एवज में अभ्यर्थियों से मोटा पैसा वसूलता है। इसमें दो राय नहीं कि सरकार की फुल प्रूफ परीक्षा व्यवस्था में सेंधमारी बिना सरकारी कर्मियों के मिलीभगत के नहीं हो सकती है। ऐसे में इसका खामियाजा योग्य अभ्यर्थियों को उठाना पड़ता है।

जाहिर है, यदि सरकार परीक्षाओं को फुल प्रूफ बनाना चाहती है तो उसे सबसे पहले नकल माफिया के नेटवर्क को चिन्हित कर खत्म करना होगा। साथ ही सरकारी व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी नकेल कसनी होगी। यदि ऐसा नहीं हुआ तो परीक्षाओं पर सवाल उठते रहेंगे और सरकार व आयोजित करने वाली संस्थाओं की साख पर बट्टा लगेगा। यह स्थिति ठीक नहीं होगी।

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