संपादक की कलम से: समुद्री व्यापार पर खतरा

Sandesh Wahak Digital Desk : अरब और लाल सागर से विभिन्न देशों को जाने वाले व्यापारिक जहाजों पर हो हमले भारत समेत पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा रहे हैं। हालांकि भारतीय नौसेना ने समुद्री लुटेरों और हूती विद्रोहियों के हमले से वाणिज्यिक जहाजों को बचाने के लिए सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए हैं लेकिन लगातार हो रहे हमले अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं।

एक ओर बीमा कंपनियों ने इस मार्ग से जाने वाले जहाजों की बीमा राशि में जबरदस्त इजाफा कर दिया है वहीं शिप कंपनियों ने अपना किराया बढ़ा दिया है। इससे दुनिया भर के देशों में महंगाई बढऩे की आशंका बढ़ गयी है।

सवाल यह है कि : 

  • लाल और अरब सागर में हालात खराब क्यों हो रहे हैं?
  • क्या समुद्री लुटेरों और हूती विद्रोहियों पर लगाम कसने में विश्व की तमाम शक्तियां नाकाम साबित हो रही हैं?
  • क्या इन हमलों से एशियाई और यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था को जोरदार झटका लग सकता है?
  • क्या जरूरी वस्तुओं के आयात निर्यात पर इसका खराब असर पड़ सकता है?
  • आखिर वाणिज्यिक जहाजों को इन क्षेत्रों में सुरक्षा कौन मुहैया कराएगा?
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं?

अरब और लाल सागर में पिछले दो महीनों से आए दिन व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया जा रहा है। कभी इन पर समुद्री लुटेरे कब्जा कर लेते हैं तो कभी इन पर ड्रोन से हमला किया जा रहा है। दरअसल, इन सागरों से दुनिया का 40 फीसदी समुद्री व्यापार किया जाता है। स्वेज नहर के जरिए यह एशिया और यूरोपीय देशों को जोड़ता है।

जलमार्गों से ही कच्चा तेल और अन्य वस्तुएं भारती आती है

यूरोपीय देशों से एशिया पहुंचने के लिए यह सबसे छोटा और व्यस्ततम जलमार्ग है। इन्हीं जलमार्गों से एशिया और यूरोप के बीच तेल से लेकर खाद्य पदार्थों, कपड़ों, तमाम तरह के उपकरणों का आयात-निर्यात किया जाता है। इन्हीं मार्गों से कच्चा तेल और अन्य वस्तुएं भारत आती हैं। बांग्लादेश व अन्य एशियाई देश इसी मार्ग से अपनी वस्तुओं का निर्यात करते हैं। ऐसे में समुद्री लुटेरों और हूती विद्रोहियों की नजर इधर से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों पर रहती है।

भारत द्वारा युद्धपोतों की तैनाती और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के कारण भारतीय ध्वज वाले जलपोतों पर फिलहाल हमले नहीं हो रहे हैं लेकिन यह सिलसिला जारी रहा तो इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। भारत का स्वेज नहर और लाल सागर मार्ग से लगभग 200 अरब डॉलर का समुद्री व्यापार होता है। भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात भी स्वेज नहर के माध्यम से होता है।

रूस और अमेरिका से नॉन-कूकिंग कोयला जैसे अन्य वस्तुओं को आयात भी किया जाता है। ऐसे में यदि वाणिज्यिक जहाजों को सुरक्षित वातावरण नहीं मिला तो स्थितियां विकट हो जाएंगी। साफ है, विश्व के तमाम देशों को मिलकर इस समस्या का हल करना होगा अन्यथा इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और आम आदमी को महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है।

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