संपादक की कलम से : मिलावटखोरी पर लगाम कब ?

Sandesh Wahak Digital Desk : यूपी में मिलावटखोरी का बाजार गर्म है। त्योहार के मौके पर इसका दायरा और बढ़ जाता है। लखनऊ में एक नामचीन मिठाई की दुकान में छापेमारी के दौरान खराब खोया जब्त किया गया। इसका प्रयोग रक्षाबंधन पर्व के मौके पर मिठाइयों को बनाने में किया जाना था। इसी तरह फिंगर चिप्स में घातक केमिकल रंगों का प्रयोग किया गया है। ये बानगी भर है। प्रदेश भर में मिलावटखोरी जारी है और सरकार के तमाम दावों के बावजूद संबंधित विभाग अभी तक इस पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हुए हैं।

सवाल यह है कि :-

  1. कड़े कानूनों के बावजूद मिलावटखोरों के हौसले बुलंद क्यों हैं?
  2. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग आखिर क्या कर रहा है?
  3. मिलावटखोरी के खिलाफ लगातार छापेमारी अभियान क्यों नहीं चलाया जाता है?
  4. क्या व्यापारी और मिलावटखोरों के गठजोड़ को तोड़े बिना इस पर लगाम लगाई जा सकती है?
  5. क्या भ्रष्टाचार ने पूरे तंत्र को पंगु कर दिया है?
  6. क्या लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने की छूट किसी को दी जा सकती है?

प्रदेश में मिलावटखोरी का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। हालत यह है कि दूध और इसके उत्पादों समेत अन्य खाद्य पदार्थों तक में जमकर मिलावट की जा रही है। कई बार नामी ब्रांड के फर्जी लेवल लगाकर वस्तुओं को मॉर्केट में बेचा जा रहा है। अधिक मुनाफे के लालच में दुकानदार भी मिलावटी व गुणवत्ताहीन वस्तुएं ग्राहकों को बेच रहे हैं। त्योहार के मौके पर मांग अधिक बढ़ जाने के कारण ऐसी वस्तुओं की बाजार में भरमार हो जाती है। प्रदेश की राजधानी में यह धंधा खूब फल-फूल रहा है।

हल्दी व मसालों में हो रहा केमिकल का इस्तेमाल

हैरानी की बात यह है कि इसमें नामचीन दुकान संचालक भी शामिल हैं। हल्दी और मसाले में न केवल मिलावट की जा रही है बल्कि केमिकल रंगों का प्रयोग किया जाता है। यूरिया और अन्य वस्तुओं को मिलाकर दूध बनाया जा रहा है। खाद्य वस्तुओं में मिलावटखोरी शहर के नजदीक गांवों में किया जाता है और वहां से नजदीक के बाजार में भेज दिया जाता है। इसमें दुकानदार से लेकर मिलावटखोर तक शामिल हैं। ये गठजोड़ लगातार मजबूत होता जा रहा है।

यह स्थिति तब है जब मिलावटखोरी को रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग है। हर जिले में विभाग के पास पर्याप्त टीमें हैं और छापेमार कार्रवाई करने का अधिकार मिला हुआ है लेकिन हकीकत यह है कि संबंधित विभाग महज त्योहारों के मौके पर अपनी सक्रियता दिखाता है। कई बार छापेमारी की पूर्व सूचना तक मिलावटखोरों को मिल जाती है और वे अपना सामान इधर से उधर कर देते हैं।

चिकित्सकों की माने तो मिलावटी खाद्य पदार्थ के सेवन से लोगों की सेहत पर खराब असर पड़ता है और वे गंभीर रोगों से ग्रसित हो सकते हैं। साफ है, यदि सरकार मिलावटखोरी को रोकना चाहती है तो उसे न केवल दुकानदारों और मिलावटखोरों के गठजोड़ को तोडऩा होगा बल्कि ऐसा करने वालों के खिलाफ त्वरित और कड़ी कार्रवाई करनी होगी।

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