संपादक की कलम से : चंद्रमा पर भारत की खोज

Sandesh Wahak Digital Desk : चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 न केवल सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल रहा बल्कि विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान ने चंद्र सतह पर अपनी खोजबीन भी शुरू कर दी है और पृथ्वी तक इसकी जानकारियां भी पहुंचा रहा है। सबसे पहले चंद्रमा के सतह के तापमान की जानकारी मिली है।

लैंडर में लगे सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह की मिट्टी की ऊपरी परत और इसके नीचे करीब दस सेंटीमीटर की गहराई का तापमान मापा। इससे पता चला है कि चंद्रमा का तापमान स्थिर नहीं है और पृथ्वी के मुकाबले इसमें जमीन-आसमान का अंतर है। वहां सतह पर जहां तापमान 70 डिग्री सेल्सियस है वहीं दस सेंटीमीटर नीचे यह शून्य से माइनस दस डिग्री सेल्सियस है।

सवाल यह है कि :-  

  1. चंद्रमा की सतह के तापमान की जानकारी से वैज्ञानिकों को क्या फायदा होगा?
  2. क्या रोवर प्रज्ञान और विक्रम लैंडर चंद्रमा के सभी रहस्यों से पर्दा उठाने में सफल होंगे?
  3. अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की इस अहम खोज का क्या प्रभाव पड़ेगा?
  4. क्या चांद हमें अभी और चौंकाएगा?
  5. क्या चांद के दक्षिणी धु्रव की खोजें अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने में अहम भूमिका निभाएंगी?

अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब चंद्रमा के दक्षिण धु्रव पर वैज्ञानिक उपकरण पहुंचे हैं। यह ऐतिहासिक उपलब्धि भारत के नाम दर्ज हो चुकी है। ऐसा नहीं है कि इसके पहले अन्य देशों ने दक्षिणी धु्रव पर पहुंचने की कोशिश नहीं की। चंद्रयान-3 के वहां सफलतापूर्वक पहुंचने के पहले रूस ने अपना लूना-25 अंतरिक्ष यान यहां भेजा लेकिन वह चांद से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि वैज्ञानिक खोजें पूरी दुनिया के लिए होती हैं।

पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों को विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान से अपेक्षाएं

इस लिहाज से भारत का यहां पहुंचना पूरी दुनिया की सफलता मानी जा सकती है। यही वजह है कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों को विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान से बहुत अपेक्षाएं हैं। जैसे-जैसे चंद्रमा के खोजबीन की सूचनाएं पृथ्वी पर आती रहेंगी। दुनिया उसके जरिए चांद के रहस्यों को समझने की कोशिश करती रहेगी। इसमें दो राय नहीं कि चंद्रयान-3 ने अभी शुरुआत भर की है। विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान के पास सिर्फ दो सप्ताह यानी पृथ्वी के 14 दिन ही फिलहाल खोजबीन के लिए हैं। इसमें पांच दिन पूरे हो चुके हैं।

जाहिर है इतने कम समय में पूरे चांद के रहस्यों को भले न जाना जा सके लेकिन ऐसी तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां मिलने की उम्मीद है, जिससे चंद्रमा के मूल प्रकृति को समझा जा सकता है। यह समझ हमें न केवल अंतरिक्ष की अतल गहराइयों में जाने की राह दिखा सकती है बल्कि हो सकता है चांद के कुछ रहस्य हमें अचंभित कर दें। लिहाजा भारत के साथ पूरी दुनिया चांद से संदेशों के आने का इंतजार कर रही है। इन जानकारियों का विश्लेषण किया जा रहा है और पृथ्वी से इसकी तुलना भी की जा रही है। उम्मीद है, भारत इसमें पूरी तरह सफल होगा।

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