NHAI Scam: चार गिरफ्तारियों के बाद अरबों के राजस्व घोटाले की जांच सुस्त!

Sandesh Wahak Digital Desk: सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का, इस कहावत पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के वो अफसर बिलकुल सटीक बैठते हैं।
जिनकी साठगांठ के बाद एनएचएआई में घोटालों की एक्सप्रेस रफ्तार पकड़ती है। कुछ माह पहले एनएचएआई में सैकड़ों करोड़ के टोल घोटाले का खुलासा यूपी एसटीएफ ने किया था। एनएचएआई अफसरों ने इस घोटाले की विस्तृत जांच कराना मुनासिब नहीं समझा। वहीं ईडी और एसटीएफ की जांच में भी फिलहाल तेजी नजर नहीं आ रही है। ऐसा लगता है कि ये अहम जांच सिर्फ फाइलों में जारी रहकर उनकी शोभा बढ़ाएगी।
जनवरी में एसटीएफ ने मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर चार कर्मचारियों को गिरफ्तार करके करीब 120 करोड़ के शुरूआती राजस्व घोटाले को बेनकाब किया था। टोल प्लाजा पर बिना फास्टैग या प्रतिबंधित फास्टैग वाले वाहनों से संग्रहण के अनुबंधित एजेंसियों के कर्मी फर्जी सॉफ्टवेयर से अवैध वसूली कर रहे थे।
मनी लांड्रिंग जांच शुरू करने का खाका किया था तैयार
जांच में सामने आया कि देश भर के 200 टोल प्लाजा पर लगाए गए सॉफ्टवेयर के जरिये एनएचएआई को सैकड़ों करोड़ का तगड़ा झटका दिया गया है। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय अर्थात ईडी ने भी इस घोटाले की मनी लांड्रिंग जांच शुरू करने का खाका तैयार किया था।
तकरीबन तीन माह गुजरने के बावजूद ईडी ने पीएमएलए ऐक्ट के तहत प्रवर्तन मामला सूचना अर्थात ईसीआईआर नहीं दर्ज की। घोटाले से हासिल काली कमाई पकडे गए लोगों के परिजनों के बैंक खातों में गयी थी। कई सम्पत्तियां भी खरीदने की आशंका है। वहीं एसटीएफ भी अगली गिरफ्तारी पर चुप्पी साधे है। सडक़ परिवहन मंत्रालय ने भी तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करके खानापूर्ति कर डाली। गहराई से जांच होती तो देश भर के एनएचएआई अफसरों की भी गर्दन फंसी तय थी।
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