इतिहास के पन्नों से गुमनाम हुए अंबेडकरनगर के नायक, मौलवी नसीर साहब की अनसुनी कहानी

Sandesh Wahak Digital Desk: अम्बेडकरनगर के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोलवी नसीर साहब एक समाज सेवक भी थे, और स्वतन्त्र भारत का निर्माण करने का सपना पूरा करने वाले स्वतन्त्र ता संग्राम सेनानी भी हैं।

इनका जन्म अम्बेडकर नगर ज़िले के टांडा तहसील से 2 किलो मीटर दूर स्थित पुनथर गाँव में हुआ था। मोलवी नसीर साहब फारसी भाषा के बहुत बड़े विद्वन थे और स्वतन्त्रता संग्राम में सम्मिलित होने से पहले दोस्त पुर क़स्बा के पास स्थित एक इंटर कॉलेज में फारसी के प्रवक्ता थे और वहीं से मौलाना हुसैन अहमद मदनी की तक़रीरों से प्रेरित होकर आंदोलन में कूद पड़े विदित हो कि मौलाना मदनी टांडा के गाँव अलहदाद पुर के ही रहने वाले थे। उनकी प्ररेणा से अम्बेडकर नगर ज़िला जो पहले फैजाबाद था, की अकबरपुर और टांडा तहसील के बहुत सारे लोग स्वतन्त्र भारत के लिए चल रहे आन्दोलन में शरीक हुए चूंकि मौलाना मदनी की रिश्तेदारी पुनथर गाँव से बहुत गहरी थी।

खुद को गुमनाम रखने में रखते थे यकीन

लिहाज़ा इस गाँव मे स्वतंत्रता आन्दोलन बहुत तेज़ था इसी गाँव के मोलवी अब्दुल अहद साहब भी थे जो बाद में आकर फैजाबाद शहर में आकर मुहल्ला खिड़की अली बेग में रहने लगे थे उनका भी स्वतंत्रता संग्राम से बहुत गहरा सम्बन्ध था लेकिन वो खुद को गुमनाम रखने में ही यक़ीन रखते थे और कांग्रेस की नीतियों से बेज़ार रहते थे और काम रेड खेमे में चले गए थे इसलिए आज़ाद भारत की सरकार को पसंद नहीं आये बहरहाल यह एक अलग प्रसंग है जो फिर कभी लिखा जाएगा

मोलवी नसीर साहब को अल्लाह ने लम्बी जिंदगी दिया और उन्होंने अपने जीवन को देश की तरक़्क़ी और खुशहली के लिए समर्पित कर रखा था मोलवी नसीर साहब को सेना में नयी पीढ़ी को भर्ती करने का बहुत शोक था और नौजवान लड़कों को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते थे। खुद मेरे पिता मेजर अकबर अली को भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया।

दहेज प्रथा के खिलाफ आंदोलन और विधायक के रूप में योगदान

जिन्होने चीन युध्द भारत पाकिस्तान का 1962 और 1965 का होने वाला इतिहासिक युध्द पूरे प्रकरम और बहादुरी से लड़ा जिस के लिए भारत सरकार ने गोल्ड मेडल से अलंकृत कियाको भी मोलवी नसीर साहब ने हमेशा बहुत अधिक मान सम्मान दिया। मोलवी नसीर साहब ने समाज में ज़हर बन चुकी कुरितियों के लिए भी आन्दोलन चलाए बिना दहेज लिए शादी करवाने के लिए गाँव गाँव जलसे किये और शिक्षा संथानो में जाकर नयी नसल को एक अछे समाज के निर्माण के लिए उत्साहित करते रहे।

मोलवी नसीर साहब ने आज़ाद भारत के 1952  में होने वाले विद्ययकी का इलेक्शन भी टांडा विधान सभा से लड़ा और विजये भी हुए आज का टांडा थर्मल पॉवर मोलवी नसीर के ख्वाब की ही ताबीर है। 1957 तक आप विधायक रहे और नये भारत में अम्बेडकर नगर की पहचान बनाने में अपना  योगदान देते रहे 1991 में इनका देहांत हुआ और वक्त के साथ उड़ने वाले गर्द इनको भी अपने नीचे समेट कर ले गयी और आज के दिन शायद ही धरती के इस महान क्रांतिकारी कोअम्बेडकर नगर के इतिहास के साथ याद करता हो।

लेखक: सय्यद मंजूम आकिब

 

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