देवबंद पहुंचे अफ़गानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी, दारुल उलूम का दौरा कर बोले- भारत-अफ़गानिस्तान रिश्ते मज़बूत होंगे
Deoband News: अफ़गानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के देवबंद का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम (कुलपति) मुफ़्ती अब्दुल कासिम नोमानी और मौलाना अरशद मदनी से मुलाक़ात की। मुत्ताकी ने पूरे दारुल उलूम परिसर और मस्जिद का दौरा किया।
मुत्ताकी ने मीडिया से बात करते हुए इस दौरे को बेहद ख़ुशी भरा बताया। उन्होंने कहा, दारुल उलूम में आकर मुझे बेहद अच्छा लगा। यहाँ जिस तरह से मेरा इस्तक़बाल (स्वागत) हुआ, मैं उससे काफ़ी ख़ुश हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ कि भारत और अफ़गानिस्तान के रिश्ते आगे भी मज़बूत होंगे।
तालिबान के एक प्रमुख नेता आमिर खान मुत्ताकी का यह दौरा धार्मिक और कूटनीतिक, दोनों ही दृष्टियों से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह यात्रा उस पाकिस्तानी दावे को सीधी चुनौती देती है, जिसमें पाकिस्तान खुद को देवबंदी इस्लाम का संरक्षक और तालिबान का मुख्य समर्थक बताता है। मुत्ताकी की देवबंद यात्रा से यह संदेश जाता है कि तालिबान की धार्मिक जड़ें भारत में हैं, न कि पाकिस्तान में। यह स्पष्ट संकेत है कि तालिबान अपनी राजनीति और कूटनीति में पाकिस्तान पर निर्भरता कम करके भारत की तरफ रुख कर रहा है। दारुल उलूम की नींव 1866 में रखी गई थी और यह इस्लामी शिक्षा का बड़ा केंद्र है।
दारुल उलूम देवबंद मे अमीर खान मुत्ताकी साहब दारुल हदीस का आखिरी सबक लेने के बाद दुआ करते हुए ,
देवबंद में और मुल्क में अमन व चैन की दुआ मांगी pic.twitter.com/gxmHPDsfpK
— ᵐᵗᵠ (@55MTQ_) October 11, 2025
दारुल उलूम में पढ़ते हैं अफ़गान छात्र
मुत्ताकी के आगमन पर दारुल उलूम के छात्रों ने उनका स्वागत किया। वर्तमान में, दारुल उलूम में अफ़गानिस्तान के करीब 15 छात्र पढ़ते हैं। हालांकि, सन 2000 के बाद बनाए गए सख़्त वीज़ा नियमों की वजह से अफ़गान छात्रों की संख्या में कमी आई है। पहले यहाँ सैकड़ों छात्र पढ़ने आया करते थे।
बता दें कि तालिबान मदरसों और इस्लामी विचार के लिए दारुल उलूम को अपना आदर्श मानता है। दारुल उलूम से पढ़ने वाले छात्रों को मौजूदा अफ़गानिस्तान सरकार की नौकरियों में भी प्राथमिकता दी जाती है। इससे पहले, 1958 में अफ़गानिस्तान के बादशाह मोहम्मद ज़ाहिर शाह भी दारुल उलूम आए थे। ज़ाहिर शाह के नाम से दारुल उलूम में एक गेट भी बना हुआ है, जिसका नाम बाब ए ज़ाहिर है।
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