कोविड-19: क्या हमें फिर से मास्क पहनना शुरू कर देना चाहिए ?

Sandesh Wahak Digital Desk : कोविड-19 के बारे में एक गारंटी दी जा सकती है कि इसका क्रमिक विकास हमें कोरोना वायरस के कमोबेश नए स्वरूप उपलब्ध कराएगा, जिनमें से कुछ लोगों को संक्रमित करने में अधिक कामयाब होंगे। उत्परिवर्तन की बात करना डरावना लग सकता है और इससे गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती है लेकिन यह सोचना गलत होगा कि हमेशा ऐसा ही होता है।

बीए.2.86 (पिरोला उपनाम) ऐसा ही एक नया स्वरूप है जिसने उसके स्पाइक प्रोटीन में कई उत्परिवर्तन के कारण कुछ डॉक्टरों तथा वैज्ञानिकों के बीच चिंता पैदा कर दी है।

प्रोटीन वायरस की सतह पर एक अणु होता है जो इसे खोलने तथा हमारी कोशिकाओं में प्रवेश करने की एक चाबी के रूप में काम करता है। यह टीकों के भी निशाने पर रहता है इसलिए स्पाइक में परिवर्तन का मतलब वायरस के व्यवहार में परिवर्तन है।

यह चिंता की बात है कि संक्रमण की नयी लहर आ सकती है जिससे कुछ लोग संक्रमण के प्रसार पर नियंत्रण पाने के उपायों को फिर से शुरू करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रहे हैं। महामारी की शुरुआत में लगातार पूछे जाने वाले प्रश्नों में से एक यह था कि क्या लोगों को चेहरे को ढंकने जैसा कुछ पहनकर अपनी तथा दूसरे लोगों की रक्षा करनी चाहिए ?

चेहरे को ढंकने का बड़े पैमाने पर समर्थन :

अब कोविड का खतरा काफी हद तक कम हो गया है तो जब भी संक्रमण के मामले बढ़ने शुरू होते हैं तो लोगों को फिर से चेहरे को ढंकने का निर्देश देने की जोर-शोर से मांग उठती है। मास्क का मुद्दा हमेशा चर्चा में रहता है। उनके प्रभाव के बारे में बहुत ज्यादा दावे तथा उनकी निष्प्रभाविता के सबूत के अनुचित दावे किए गए हैं।

मास्क लगाने से मामूली अंतर देखने को मिला

कोई व्यापक अध्ययन न होने के कारण यह तस्वीर जटिल है। कई बार अध्ययन का आकार बहुत छोटा होता है जिसका मतलब है कि मामूली लेकिन वास्तविक अंतर देखना मुश्किल हो सकता है या वास्तव में मास्क पहनने का अनुपालन बहुत कम है। यदि लोग कभी-कभी ही मास्क पहनते हैं तो इनका प्रभाव देखना मुश्किल हो सकता है।

महामारी के दौरान यह सामने आया कि जनता ने तब तक अपने व्यवहार में बदलाव नहीं किया जब तक कि उन्होंने अस्पतालों में लोगों की सांस लेने के लिए संघर्ष करते हुए तस्वीरें टेलीविजन पर नहीं देखी।

ब्रिटेन में 2020 में मास्क लगाने के निर्देश के बावजूद उसके बाद की संक्रमण की लहर नहीं रुकी। इसे देखते हुए ऐसा लगता नहीं है कि अन्य उपायों के बिना केवल मास्क लगाने से कुछ ज्यादा फर्क पड़ेगा।

बीए.2.86 दुनियाभर में फैला है और हमें नहीं मालूम कि कितने लोग इससे संक्रमित हुए हैं। अगर यह व्यापक पैमाने पर फैला है तो ऐसा लगता है कि केवल कुछेक लोग ही इसके कारण अस्पताल में भर्ती हुए हैं जो यह संकेत देता है कि टीकों तथा पूर्व संक्रमण से पैदा हुई प्रतिरक्षा अब भी गंभीर, जानलेवा कोविड के खिलाफ हमारी रक्षा कर रही है।

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