संपादकीय: अदालत में सुरक्षा का सवाल

उत्तर प्रदेश में अब अदालत परिसर भी महफूज नहीं हैं। पुलिस अभिरक्षा में आरोपियों की हत्या व जानलेवा हमले हो रहे हैं।

Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी के जौनपुर में पेशी के दौरान लाए गए दो हत्यारोपियों पर अदालत परिसर में ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गईं। गोलीबारी में दोनों आरोपी गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना ने एक बार फिर कोर्ट परिसर की सुरक्षा पर सवाल उठा दिया है।

सवाल यह है कि…

  • अदालत परिसर में इस तरह की घटनाएं क्यों घट रही हैं?
  • पुलिस अभिरक्षा में आरोपियों पर जानलेवा हमले क्यों हो रहे हैं?
  • ताबड़तोड़ एनकाउंटर के बावजूद बदमाशों के हौसले बुलंद क्यों हैं?
  • क्या बदमाशों के मन से खाकी का इकबाल खत्म हो गया है?
  • कोर्ट की मर्यादा को बनाए रखने में पुलिस-प्रशासन नाकाम क्यों है?
  • अपराध के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति बेअसर क्यों दिख रही है?
  • क्या पुलिस तंत्र और इसकी कार्यप्रणाली में आमूल बदलाव की जरूरत सरकार को महसूस नहीं हो रही है?
  • आखिर अदालत परिसर में असलहा लेकर बदमाश कैसे पहुंच जाते हैं?

यूपी में अदालत परिसर भी महफूज नहीं!

उत्तर प्रदेश में अब अदालत परिसर भी महफूज नहीं हैं। पुलिस अभिरक्षा में आरोपियों की हत्या व जानलेवा हमले हो रहे हैं। 2019 में बिजनौर की सीजेएम कोर्ट में हमलावरों ने एक हत्यारोपी की हत्या कर दी। फरवरी 2020 में लखनऊ की अदालत में बम फेंका गया। अक्टूबर 2021 में शाहजहांपुर की अदालत में वकील भूपेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई और जनवरी 2022 में बदमाशों ने गोरखपुर के दीवानी कचहरी में पॉक्सो केस में तारीख देखने आए युवक का मर्डर कर दिया गया। ये कुछ घटनाएं यह बताने के लिए काफी है कि अदालत परिसरों में सुरक्षा का क्या हाल है।

हालांकि हर बार ऐसी घटनाएं होने के बाद सरकार और प्रशासन अदालतों की सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन इसका जमीन पर कोई असर नहीं दिखता है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलने का दावा करती है।

पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी उठे सवाल

हैरानी की बात यह है कि पेशी के दौरान आए आरोपियों की हत्या या उन पर हो रहे जानलेवा हमले पुलिस अभिरक्षा में होते हैं। इससे न केवल अदालत की सुरक्षा व्यवस्था बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठते हैं। अदालत परिसर में इस तरह की वारदातें बेहद गंभीर हैं और यदि इन पर रोक नहीं लगी तो हालात बदतर हो सकते हैं। कोर्ट भी सुरक्षा के सवाल पर कई बार सरकार को आदेश जारी कर चुकी है लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यदि अदालतें भी सुरक्षित नहीं रहेगी तो कानून व्यवस्था का हश्र क्या होगा, इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।

जाहिर है यदि सरकार अदालत परिसर को सुरक्षित रखना चाहती है तो उसे इसके सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करना होगा और ऐसी फुल प्रूफ व्यवस्था बनानी होगी ताकि कोई भी व्यक्ति असलहा लेकर परिसर में प्रवेश न कर सके। इसके अलावा पुलिस की कार्यप्रणाली में भी बदलाव करने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो अदालत परिसर में खून-खराबा होता रहेगा।

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